सावन का पवित्र महीना 17 जुलाई से शुरू हो चुका है। शिव भक्तों के लिए यह महीना बेहद खास होता है पर सुहागनों के लिए भी किसी पर्व से कम नहीं। सावन में सुहागनें हरी चूडिय़ां जरूर पहनती हैं। सावन में हरी चूडिय़ों का महत्व क्या है?
सावन और हरा रंग
सावन यानी बारिश, चारों और हरियाली, भीषण गर्मी के बाद हर ओर हरियाली दिखने लगती है। लोगों के मन में उल्लास होता है। प्रकृत्ति का रंग है हरा। इसलिए इस माह में हरे रंग को पहनने का बड़ा कारण ये है कि इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है। चूंकि सावन में शिव पूजा करने का विधान है, इसलिए महिलाएं हरे रंग की चूडिय़ां पहनती हैं, जिससे उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिले। भगवान शिव का हरे रंग से क्या संबंध। दरअसल, भगवान शिव प्रकृत्ति के बीच ही रहते हैं। वहीं उनका निवास है। उन्हें जो बिल्व पत्र या धतूरा चढ़ाया जाता है वो भी हरे रंग का होता है, इसलिए हरा रंग उन्हें भाता है। ऐसी मान्यता है कि सावन में हरे रंग को पहनने से वे खुश होते हैं। हमारे धर्मग्रंथों में हरियाली का पूजन होता आया है। पेड़ों आदि की पूजा का विधान है। ऐसा करने से हम प्रकृत्ति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इस रंग को पहनने से प्रकृत्ति का भी आशीर्वाद मिलता है।
सावन के सोमवार
इस बार सावन में 4 सोमवार आएंगे। पहला सोमवार 22 जुलाई 2019 को है। दूसरा 29 जुलाई को और तीसरा सोमवार 5 अगस्त को है। इसी बीच 31 जुलाई 2019 को हरियाली अमावस्या भी है। चौथा और सावन का आखिरी सोमवार 12 अगस्त को है। 15 अगस्त को सावन का आखिरी दिन है। बहुत से लोग सावन या श्रावण के महीने में आने वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं। सावन महीने की एक बात और खास है कि इस महीने में मंगलवार का व्रत भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के लिए किया जाता है। श्रावण के महीने में किए जाने वाले मंगलवार व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।
क्या खाएं, क्या नहीं
हरी सब्जियों को खाना मना होता है। इसकी वजह ये है कि इस महीने में हरी पत्तेदार सब्जियां शरीर में वात को बढ़ाती है। कच्चे दूध के सेवन की मनाही होती है। मांस-मच्छी के सेवन की मनाही होती है। इसी तरह लहसुन, प्याज के सेवन से बचने को कहा जाता है। इस समय में तामसिक प्रवृत्ति के भोजनों को ना खाने की परंपरा इसका कारण है।