भोपाल। हाल ही में संपन्न हुए मप्र विधानसभा सत्र के बाद सरकार की अस्थिरता को लेकर चल रही चर्चाओं पर विराम लगने से प्रशासनिक मशीनरी के रफ्तार पकडऩे की उम्मीद बढ़ गई है। प्रदेश में कमल नाथ सरकार बनने के बाद से भाजपा नेता सरकार को स्थिरता को लेकर बयान देते रहे जिससे यह माहौल बन गया कि सरकार किसी भी दिन गिर सकती है। अस्थिरता के इस वातावरण के बीच मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, मगर उन फैसलों का असर जमीन पर होता नजर नहीं आ रहा था। इसकी वजह प्रशासनिक मशीनरी का पूरी तरह साथ न मिलना भी माना जा रहा है। प्रशासनिक अमले सरकार की स्थिरता को लेकर आश्वस्त नहीं थे लेकिन कई दलों के समर्थन से चल रही सरकार ने जब विधानसभा में अपनी ताकत साबित कर दी, उसके बाद राज्य की सुस्त पड़ी सरकारी मशीनरी के कामकाज में रफ्तार आने की संभावना बढ़ गई है। कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सात माह से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, लेकिन सरकार बनने के बाद से उसके भविष्य को लेकर सवाल लगातार उठाए जाते रहे हैं।
विपक्ष यह प्रचारित करने में लगा रहा कि यह सरकार ज्यादा दिन चलनेवाली नहीं है। प्रशासनिक अमला भी यही मानकर चल रहा था कि सरकार कभी भी गिर सकती है। इसलिए सरकारी मशीनरी अपनी पूरी रफ्तार से काम नहीं कर रही थी। कमल नाथ सरकार को भाजपा के दो विधायकों का समर्थन मिल जाने के बाद अब सरकार के मंत्री भी यह मानकर चल रहे हैं कि बेलगाम हो चली नौकरशाही के रवैए में बदलाव दिखेगा।
सरकार को लेकर पसोपेश में थी मशीनरी
प्रशासनिक अधिकारी भी मानते हैं कि सरकार पर भरोसा बढऩे से नौकरशाही के रवैए में बदलाव जरूर आएगा. सरकार की योजनाओं पर शुरू काम अब रफ्तार पकड़ेगा। पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच का मानना है कि नौकरशाही हमेशा राजनीतिक हालात पर नजर रखती है। जब सरकार बदलती है, तब उसका असर नौकरशाही पर भी पड़ता है। जैसे-जैसे भरोसा बढ़ता है, हालात सामान्य होने लगते हैं और सभी लोग पहले की तरह अपने काम में लग जाते हैं। सरकार के एक आला अधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि हमारे पास फाइलें कई-कई दिन तक पड़ी रहती थीं, क्योंकि हमेशा इस बात की आशंका रहती थी कि यह सरकार अब गई, तब गई। पूरी सरकारी मशीनरी ही पसोपेश में रहती थी, साथ ही पूर्ववर्ती सरकार से करीबी नाता रखने वाले अफसर वर्तमान सरकार को सहयोग देने के लिए तैयार नहीं थे। विधानसभा में मत विभाजन के दौरान सरकार की मजबूती दिखने के बाद अब सरकारी मशीनरी भी विश्वास करने लगी है कि अभी सरकार को कोई खतरा नहीं है।
कैबिनेट में मंत्री कर चुके हैं शिकायत
सरकार के भविष्य के प्रति नौकरशाहों में बने संशय का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैबिनेट की बैठकों में कई मंत्रियों ने आरोप लगाया था कि अफसर उनके निर्देर्षो पर न तो अमल करते हैं और न ही विभागीय कामकाज में रुचि लेते हैं। कई अफसरों पर तो पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे नेताओं और भाजपा संगठन के नेताओं को ज्यादा महत्व देने तक के आरोप लग चुके हैं। प्रशासनिक जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ पूर्व में सरकारी मशीनरी में बदलाव लाने के कई प्रयास कर चुके हैं और इसी क्रम में बड़े पैमाने पर तबादले किए तो उन पर तबादला उद्योग चलाने तक का आरोप लगाया गया। उसके बाद भी नौकरशाही के रवैए में बदलाव नहीं आ रहा था, मगर अब सरकार के भविष्य पर छाए कुहासे के छंटने से सरकारी मशीनरी के कामकाज में रफ्तार आने की पूरी संभावना बन गई है।