सावन माह में पृथ्वी पर नहीं किया जाता खुदाई का काम


धर्म शास्त्रों और पुराणों के अनुसार नाग को देवता माना जाता है। सावन के महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व कई राज्यों में 5 अगस्त को मनाया जाएगा। हिंदू मान्यता के अनुसार हमारी पृथ्वी नाग देवता के फन पर टिकी है। कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ता है शेष नाग क्रोधित हो जाते हैं और अपना फन हिलाते हैं इससे पृथ्वी हिल जाती है। कहते हैं पृथ्वी को नागराज के गुस्से से बचाने के लिए देशभर में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।
मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ अपनी झोली से विषैले जीवों को भूमि पर विचरण के लिए भेजते हैं और जन्माष्टमी के दिन सभी जीवों को वापस बुला लेते हैं। कहते हैं कि सावन शिव की भक्ति का महीना होता है। इस पूरे महीने पृथ्वी को खोदने का काम नहीं किया जाता है। इसलिए किसान भी भगवान शिव की भक्ति करते हैं और खेतों में हल नहीं चलाते हैं। इस महीने में मकान बनाने के लिए नींव भी नहीं खोदनी चाहिए, ऐसा करने से नाग देवता को कष्ट होता है। शास्त्रों के अनुसार, दूध, चावल, जल, फूल, नारियल आदि सकल सामग्री नाग पूजन में प्रयुक्त होती है। नागों को सिर्फ कच्चा दूध ही चढ़ाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में राहू-केतू को सांप माना जाता है। राहू को सर्प का सिर तथा केतू को पूंछ माना जाता है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार जब सौर मंडल के समस्त ग्रह राहू व केतू की परिधि में आ जाते हैं तब जन्म कुंडली में कालसर्प दोष योग का निर्माण होता है।