राज्य में मानव अधिकारों के उल्लंघन में टॉप पर पुलिस

भोपाल। मानव अधिकार हनन से संबंधित शिकायतों का राज्य मानव अधिकार आयोग में साल दर साल आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। शिकायतों के साथ ही आयोग स्वयं कई मामले संज्ञान में लेकर उनमें कार्रवाई की अनुशंसा करता है, लेकिन कितने मामलों में शासन स्तर पर कार्रवाई की जाती है। इसकी जानकारी आयोग को उपलब्ध नहीं कराई जाती है। आयोग में सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस से संबंधित होती है।



राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन १३ नवंबर १९९५ को हुआ था। वर्ष १९९५-९६ में आयोग में कुल ६४५ शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इनमें १५६ का निराकरण किया गया था। इसके बाद हर साल शिकायतों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। १९९९-२००० में यह आंकड़ा दस हजार से ऊपर पहुंच गया तो २०००-०१ में १३ हजार से ऊपर आ गया। २०००२-०३ में तो १५ हजार का आंकड़ा पार कर गया। हालांकि आयोग द्वारा हर साल आने वाली शिकायतों का तेज से निराकरण किया जा रहा है और साल के अंत में शिकायतों की संख्या पिछले साल आई शिकायतों की तुलना में कम रहती है। मानव अधिकार आयोग द्वारा विभिन्न विभागों के खिलाफ, आम जता की समस्याओं से संबंधित, अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही, पुलिस प्रताडऩा, पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने आदि से संबंधित आने वाली शिकायतों की आयोग में सुनवाई की जाती है। बड़े मामलों में आयोग की फुल बैंच सुनवाई करती है और इन मामलों में संबंधित विभागों से निश्चित समयावधि में निराकरण की अनुशंसा की जाती है। यह अलग बात है कि विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है या नहीं। हालांकि कार्रवाई नहीं करने के मामलों में फरियादी द्वारा पुन: शिकायतें की जाती हैं।
आयोग स्वयं लेता है संज्ञान : जेलों में कैदियों की उपचार के अभाव में आकस्मिक मृत्यु,जेलों में आत्महत्या, प्रताडऩा, सरकारी कार्यालयों के अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही से लोगों की परेशानी, अस्पताल में बीमारों को समय पर उपचार नहीं मिलने, पानी, बिजली जैसी आम जनता की समस्याओं से संबंधित अखबारों में प्रकाशित समाचारों के आधार पर आयोग स्वयं संज्ञान लेता है और ऐसे मामलों में संबंधित विभागों को पत्र लिखकर मामलों में कार्रवाई की अनुशंसा करता है। 
४७ प्रकरणों का हुआ निराकरण  : आयोग द्वारा ही ही में जिला पंचायत कार्यालय, धार के मीटिंग हाल में आयोग की फुल बैंच द्वारा सुनवाई की गई। सीधी सुनवाई के दौरान धार जिले में मानवाधिकार हनन से जुड़े ३३ पुराने लंबित प्रकरणों के अलावा ४४ नये, कुल ७७ प्रकरण रखे गये। इनमें से ४७ प्रकरणों का मौके पर ही अंतिम निराकरण किया गया। सुनवाई में रखे गये ३३ पुराने लंबित प्रकरणों में से २६ प्रकरणों का अंतिम निराकरण कर दिया गया। इसी तरह मौके पर प्राप्त ४४ नये प्रकरणों में से २१ प्रकरणों का अंतिम निराकरण कर दिया गया। शेष ३० प्रकरणों में आयोग द्वारा कलेक्टर, एसपी व अन्य संंबंधित अधिकारियों को निराकरण कर आयोग कार्यालय को प्रतिवेदन भेजने तथा आवेदकों को भी सूचित करने के लिए समय-सीमा दी गई।