नगर निगम को नहीं है खुद की जर्जर कॉलोनी की चिंता

भोपाल। भोपाल में जर्जर भवनों को तोडऩे को लेकर नगर निगम के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। नगर निगम को खुद की बैरसिया रोड स्थित कॉलोनी की चिंता नहीं है। इसी कॉलोनी में नगर निगम के १३६ मकान हैं, जिनमें से ज्यादातर मकानों पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा कर रखा है। इस कॉलोनी में नगर निगम के १५ से २० कर्मचारी रहते हैं, शेष मकानों पर अवैध कब्जा है और कुछ मकानों को नगर निगम कर्मचारियों ने बेच दिया है। भोपाल में ९७५ मकान जर्जर हैं। नगर निगम ने बरसात के इस मौसम में रस्मी तौर पर नोटिस जारी कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। इन जर्जर भवनों को तोडऩे के लिए महापौर आलोक शर्मा ने कलेक्टर से सहयोग व जिला प्रशासन का अमला मांगा था, लेकिन दो सप्ताह बाद भी नगर निगम एक भी जर्जर भवन को तोडऩे की कार्रवाई नहीं कर पाया है, जबकि रोज जर्जर भवनों में से किसी न किसी भवन का जर्जर हिस्सा गिर रहा है। 
नगर निगम भोपाल के जर्जर आवासों को चिंता कर रहा है, कि कहीं कोई मकान गिर गया तो हादसा हो सकता है, लेकिन नगर निगम की कॉलोनी ही जर्जर है, जिसमें नगर निगम कर्मचारी निवास करते हैं। इसके बाद भी इन्हें तोडऩे की कार्रवाई नहीं हुई। पीडब्ल्यूडी के लगभग ३५ साल पुराना निर्माण चार-पांच मंजिला १० ब्लॉक है। सरस्वती नगर के दो ब्लॉक खाली हैं, लेकिन छह जर्जर ब्लॉकों में रह रहे २५० से ज्यादा परिवार। पांच नंबर स्टॉप के रविशंकर शुक्ला मार्केट और कनिष्क अपार्टमेंट तीन मंजिला इमारत है और इसमें ८० परिवार रहते हैं तो ३० दुकानों से अधिक दुकानें हैं और लगभग ४२ साल पुराना निर्माण है। इन्हें हाउसिंग बोर्ड ने बनाया था। सभी ब्लॉक जर्जर हैं, पिछले साल एक ब्लॉक का छज्जा भी गिर चुका है। ११०० क्वाटर्स क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों के आवास हैं, जिसमें आई, जी और एच टाइप क्वाटर्स हैं। चार मंजिला इमारतों में कुल ११० क्वाटर्स करीब एक हजार कर्मचारियों के परिवार निवासरत हैं और यह ४१ साल पुरानी बिल्डिंगें हैं, जिसे पीडब्ल्यूडी ने बनाया था और अधिकांश ब्लॉक जर्जर, छज्जे और दीवारों का प्लास्टर झड़ रहा है। इसके अलावा पुराना आरटीओ कार्यालय इसे २००५ में जर्जर घोषित किया गया था। अभी तक तोडऩ की कार्रवाई नहीं हुई। एमएलबी कॉलेज आजादी से पहले की यह बिल्डिंग एक दशक पहले जर्जर घोषित हो चुकी है। नगर निगम कॉलोनी बैरसिया रोड पर है २५ साल पुरानी कॉलोनी के ८० मकान जर्जर घोषित किए जा चुके हैं। फतेहगढ़ में नगर निगम के क्वाटर्स लगभग ३५ साल पुराने हैं और तीन मंजिला भवन है। इन जर्जर घोषित भवनों में करीब तीन दर्जन परिवार रहते हैं। 
शीश महल में पीडब्ल्यूडी का गोदाम जर्जर
भोपला में पुराने भोपाल के जोन-२, ३, ४ और पुराना आरटीओ, शीश महल में पीडब्ल्यूडी का गोदाम अत्यंत जर्जर है, इसके बाद भी नगर निगम मौन है। पिछले साल तीन मोहरे के पत्थर गिरे थे, तब गेट से आवाजाही बंद है। पुरातत्व विभाग ने इस गेट की मरम्मत तो कर दी, लेकिन नगर निगम के माध्यम से अतिक्रमण नहीं हटा पाया। 
जोन-११ में सर्वाधिक ६०० मकान खस्ताहाल
जर्जर भवन जोन-१, २,४ और ५ में १८ भवन हैं, जोन-२ के वार्ड-८ व २१ में ४५ मकान, जोन-३ के वार्ड-९, १३ व १४ में ८२ मकानों को तोड़ा जाना था। जोन-४ के वार्ड-१५, १७, १८, २० में ९६, जोन-५ के वार्ड-१९ व २२ में १४ मकान, जोन-६ के वार्ड-२८ में ६१, जोन-७ के वार्ड -३२ व ४६ में ३ मकान जर्जर हैं। जोन-८ में ११, जोन-१० में ३०, जोन-११ में ६००, जोन-१३ में ३, जोन -१४ में ९, जोन-१५ में २, जोन-१६, १७, १८ में १-१ मकान जर्जर है।
नगर निगम की कॉलोनी में नगर निगम के मकानों पर अवैध कब्जे हो गए हैं। इन्हें हटाने पर असामाजिक तत्व हमला कर देते हैं और जर्जर मकानों को तोडऩे की कार्रवाई नहीं हो पाती है। हमने कलेक्टर से मिलकर अनुरोध किया था कि जर्जर भवनों को तोडऩे में जिला व पुलिस प्रशासन का सहयोग करें। मुझे डर है, किसी दिन भोपाल में कोई बड़ा हादसा न हो जाए, इससे पहले जर्जर भवनों को गिराने की कार्रवाई नगर निगम करना चाहता है।
- आलोक शर्मा, महापौर