कंपनी बदनाम हुई एजेंट तेरे लिए


इकरार चौधरी
इंदौर। पिछले कुछ सालों से कंज्यूमर लोन का चलन बढ़ा है। खरीदार जब कभी मार्केट में टीवी, फ्रिज वाशिंग मशीन, मोबाइल खरीदने जाता है तब दुकान पर उसे अलग-अलग बैंकों के कई कर्मचारी लोन देने के लिए मिल जाते हैं। बजाज फाइनेंस, कैपिटल, आईडीएफसी, एचडीएफसी, कोटक जैसी दसियों बैंक इन दिनों बाजार में लोन दिलाने लिए मौजूद हैं। कंपनियों की पॉलिसी ग्राहक पढ़ नहीं पाता और आसान लोन के चक्कर में आ जाता है। हालांकि कंपनी की पॉलिसी साफ-सुथरी होती हैं। लोन भी आसानी से मिल जाता है। मगर ग्राहक पॉलिसी को समझ नहीं पाता और लोन दिलाने वाले एजेंट ग्राहकों के भोलेपन का फायदा उठाते हैं, जिससे ग्राहक का सिविल भी खराब होता है और वक्त भी। एक ग्राहक ने बजाज से डेढ़ लाख रुपए की एलईडी फायनेंस कराई, जिसकी किस्तें वो लगातार भरता रहा। बीच में हालात बदलने पर उससे दो किस्तें चूक गईं, जिसे उसने बाद में नियमित करीं तो कुछ वक्त बाद दिल्ली से किसी अधिकारी का फोन आया कि आप पर बैंक का पैसा बकाया है। जब उसने कहा कि मैंने तो बची हुई किस्तें भर दी हैं, मगर वहां से उसे कोर्ट जाने की धमकी दी गई, जब उसने कंपनी के एबी रोड स्थित ऑफिस में जाकर बात करी तो उसे यह बताया गया कि आपके द्वारा दो एलईडी फाइनेंस कराई गई हैं, जिसमें से आपने एक की किस्तें चूकने पर भरी थीं, दूसरी की नहीं। उसने कहा कि मैंने तो एक ही टीवी फाइनेंस कराई थी, मगर कंपनी के रिकॉर्ड में दो टीवियां दर्ज थीं। जब ग्राहक द्वारा दुकानदार कर बिल देखा तो वाकई में उसमें दो टीवियां फाइनेंस हुई थी। एक टीवी १,२००० तो दूसरी ३०,००० की, जबकि उसके द्वारा एक ही टीवी डेढ़ लाख की खरीदी गई थी। साथ में दोनों टीवियों का इंश्योरेंस भी एजेंट द्वारा ग्राहक को बेचा गया। अब यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि ग्राहक द्वारा एक टीवी खरीदने पर एक ही फाइनेंस कराना पड़ता, जबकि एजेंट ने खुद का कमीशन बढ़ाने के चक्कर में दो फाइनेंस कर दिए। अगर ग्राहक की किस्ते न चूकती तो उसे मालूम ही नहीं पड़ता कि किस बारीकी से एजेंट ने उसके साथ धोखाधड़ी की है। इस बारे में जब कंपनी के अधिकारी से बात हुई तो उसने कहा कि उक्त एजेंट हमारे यहां से नौकरी छोड़कर जा चुका है। जो भी हो ग्राहक का सिविल तो खराब हो चुका है, उसे अब किसी दूसरी कंपनी से लोन नहीं मिलेगा। इसी तरह के दूसरे मामले में एक ग्राहक द्वारा आईडीएफसी बैंक से कंज्यूमर लोन के लिए एजेंट से बात करी गई तो एजेंट ने उसका लोन देने के लिए सिस्टम में जानकारी दर्ज की। लोन का अप्रूवल कंपनी की तरफ से आ गया। तब अचानक एजेंट द्वारा एक और डॉक्यूमेंट मांगा गया जो ग्राहक के पास नहीं था, तब एजेंट ने कहा कि आप उक्त डॉक्यूमेंट ले आइए आपका लोन पास है। मैं आपका काम कर दूंगा। तीन-चार दिन बाद ग्राहक एजेंट द्वारा बताया गया डाक्यूमेंट लेकर पहुंचा तो ग्राहक का लोन कैंसिल कर दिया गया। तब नए सिरे से उसी कार्रवाई को दोहराया गया तो लोन रिजेक्ट ही आया। इस पर एजेंट ने कहा कि उस वक्त आपने लोन पास होने के बावजूद सामान नहीं खरीदा था सो आपको अगले तीन माह के लिए कंपनी ने ब्लॉक कर दिया है। अब ग्राहक का कहना था कि जब पहले मेरा लोन पास ही नहीं हुआ था तो इस बार मुझे ब्लॉक क्यूं किया गया और अगर उस वक्त लोन पास हो चुका था तो मुझसे अलग से दूसरा डॉक्यूमेंट क्यों मांगा गया। इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं और तमाम मामलों में एजेंट का लालच, लापरवाही या जानकारी का अभाव सामने आ रहा है। यही नहीं जब इस तरह की शिकायतें लेकर बैंकों के हेड ऑफिस में जाने पर घंटों इंतजार करवाया जाता है। सैकड़ों शिकायतकर्ता और उन्हें सुनने वाला सिर्फ एक टेबल पर बैठा होता है, जो थोड़ी-बहुत बात करके आगे बढ़ा देता है। इन सभी मामलों में ग्राहक का सिविल स्कोर, जो कि किसी भी तरह के लोन में मददगार होता है, खराब हो जाता है और जरूरत पडऩे पर भी ग्राहक को लोन नहीं मिल पाता एवं एजेंट की गलती से कंपनी भी बदनाम होती है।