हनुमान जी की पीठ पर माता सीता ने लिखा 'ओम नम: शिवाय'


महान शक्तियों के बल पर पवनपुत्र हनुमान ने अपने जीवनकाल में अनेक प्रभावशाली कार्य किए जिनमें से रामायण काल में उनकी भूमिका समस्त संसार में लोकप्रिय है, वानरों की सेना की अगुवाई करते हुए जिस प्रकार पवनपुत्र हनुमान ने लंका के राजा और असुर सम्राट रावण की कैद से भगवान राम की पत्नी, माता सीता को मुक्त कराया था उसे सारा जगत जानता है लेकिन सीता माता से ही हनुमान जी के जीवन का एक और बड़ा सच जुड़ा है ये शायद ही कोई जानता होगा।
वानर के रूप में बजरंगबली महत्वपूर्ण अवतार लेकर धरती पर आए थे जिसका आभास माता सीता को पहले ही हो गया था। अयोध्या के राजा राम के परम भक्त हनुमान को शिव के 11वें अवतार के रूप मे जाना जाता है, इतना ही नहीं भगवान शिव के ही आशीर्वाद से हनुमान जी को सभी शक्तिया प्राप्त हुई थी। यह तब की बात है जब माता सीता हनुमान जी के लिए भोजन बना रही थीं, माता सीता द्वारा बनाया गया भोजन हनुमान जी को इतना पसंद आया कि वे खुद को रोक ना सके और खाते चले गए, वे जितना खाते उनकी भूख और भी बढ़ती जाती। हनुमान जी के रुद्रावतार से अपरिचित माता सीता उनकी इस दशा को समझ ना पाईं और कुछ समय पश्चात इसका उपाय खोजने लगीं। तभी माता सीता ने हनुमान जी की पीठ पर 'ओम नम: शिवाय' लिख दिया, ऐसा करते ही हनुमान जी को अपना वास्तविक स्वरूप ज्ञात हुआ और वह रुक गए, हनुमान जी में आए इस बदलाव को देखते ही माता सीता समझ गईं कि यह कोई आम वानर नहीं है बल्कि वानर के वेष में शिव जी के अवतार हैं।