घूसखोरों अधिकारियों की मेहरबानी से अवैध इमारतों का अड्डा बना इंदौर शहर

इंदौर। शहर में अवैध इमारतों को संरक्षण देने का गठजोड़ नगर निगम के जोनल कार्यालयों से लेकर मुख्यालय तक फैला हुआ है। इसीलिए बिल्डिंग ऑफिसर्स बीओ से लेकर बिल्डिंग इंस्पेक्टर्स (बीई) तक मलाईदार जोन दिए हैं। बशर्ते करें वही जो मुख्यालय चाहता है। सभी जोनों पर पदस्थ बीओ और बीआई मिलकर 18 से 20 लाख रुपए महीना कमा रहे हैं। हिस्सेदारी के बंटवारे के बाद भी 10-11 लाख रुपए तो घर जाते ही हैं। एक आंकलन के अनुसार अवैध इमारें बचाकर निगम के नुमाइंदे हर साल 35 से 40 करोड़ रुपए कमाई कर रहे हैं।



नेताओं के संरक्षण में चल रहा अवैध इमारतों का पूरा कारोबार शहर में नेताओं के राजनीतिक संरक्षण और पैसे के भूखे अधिकारियों ने इंदौर को अवैध इमारतों का अड्डा बना दिया है। ऐसा कोई जोन ही नहीं बचा जहां अवैध इमारतें न हों। नक्षा मंजूर कराकर उसे किनारे रखना और मनमाफिक निर्माण करना इंदौर में ट्रेंड बन चुका है? इस ट्रेंड का हिस्सा बनने में बिल्डर, डॉक्टर, एज्यूकेशन इंस्टिट्यूट, कोचिंग इंस्टिीट्यूट, होटल संचालक भी पीछे नहीं रहे। उधर, नक्शा मंजूरी से लेकर रिमूवल नोटिस देकर बिल्डिंग बचाने तक के लिए बीओ और बीआई अपना रेटकार्ड लिए बैठे हैं। फिर क्यों नहीं रुकती अवैध मंजिलें..
सुविधाओं के बाद भी शहर में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से कई अवैध बिल्डिंग बन चुकी शिकायतों के बाद ही करते हैं कार्रवाई कई दिनों तक शिकायतों के बाद टालते हैं मामले को, एक बीओ की तनख्वाह 50 से 60 हजार तक है। उसे गाड़ी, ड्राइवर, वायरलेस सेट, मोबाइल बिल दे रखे हैं, ताकि वह फील्ड में घूमकर सुनिश्चित कर सकें कि अपने क्षेत्र में बिल्डिंगे ईमानदारी से बने। इस काम में उसका हाथ बंटाने के लिए बीआई और दरोगा-बेलदार नियुक्त हैं। बीआई का मासिक वेतन 35 से 60 हजार तक है। उसे गाड़ी, ड्राइवर, वायरलेस सेट, मोबाइल बिल दे रखे हैं ताकि वह फील्ड में घूमकर सुनिश्चित कर सकें कि अपने क्षेत्र में बिल्डिंगे ईमानदारी से बने। इस काम में उसका हाथ बंटाने के लिए बीआई और दरोगा-बेलदार नियुक्त है। बीआई का मासिक वेतन 35 से 45 हजार तक है। वायरलेस सेट है। कुछ बीआई को गाडिय़ां भी अलॉट हैं। इतने सबके बाद में न सिर्फ गली, मोहल्ले, बल्कि मुख्य मार्ग और निगम मुख्यालय के नजदीक ही अवैध बिल्डिंग बन चुकी है।
ऐसे मामलों में पार्षदों की भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी, पार्षद भी देते हैं मौका, पर 450-50 में ऐसे मामलों में पार्षद भी मामले बताते हैं। इन मामलों में नोटिस या रिमूवल कार्रवाई के दौरान बचाने के लिए जो पैसा मिलता है उसमें पार्षद के साथ 50 की हिस्सेदारी रहती है।
लेन-देन का गणित...नक्शा मंजूरी : 
25 हजार से लेकर...बिल्डिंगे के आकार-प्रकार और नक्शा मंजूर कराने की जल्दबाजी के आधार पर तय होता है। कुछ ज्यादा तिकड़म नहीं करते। फिर भी 10-15 हजार तो मिल जाते हैं। 
कारण बताओ नोटिस : 
किसी की शिकायत या मौका निरीक्षण के बाद कारण बताओ नोटिस देते हैं। कभी मालिकाना हक के प्रमाण मांगते है, कभी स्वीकृत नक्शा। जबकि दोनों अधिकारियों के पास ही रहते हैं। इस नोटिस से कम से कम 50 हजार तो मिल ही जाते हैं। नोटिस के बाद 50000 लेकर स्वीकृति नक्शे बिल्डरों को होने वाली नुकसानी के आधार पर तय किए जा रहे हैं।
रिमूवल नोटिस : 
इस नोटिस के बाद कार्रवाई रुकवाने या कार्रवाई के दौरान निर्माण बचाने के नाम पर 50 हजार से लेकर...? स्वीकृत नक्शे, अवैध निर्माण के साथ ही बिल्डर को होने वाली नुकसानी के आधार पर तय।
अच्छे जोन पर बीओ को 10-15 लाख और बीआई को 5-7लाख रुपए महीना मिल जाता है। वहीं पिछड़े से पिछड़े जोन पर भी बीओ को 5-7 लाख रुपए महीने तक की कमाई हो जाती है। दोनों की औसत कमाई 10 लाख है तो सालाना 22.80 करोड़ की वसूली होती है।