एकादशी का व्रत करने से जीवात्माओं को उनके पापों से मिलती है मुक्ति


श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी कहते है। कामिका एकादशी का व्रत आज 28 जुलाई, रविवार को रखा जा रहा है। कामिका एकादशी में भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और एकादशी का व्रत करने से जीवात्माओं को उनके पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी के सभी व्रतों में से कामिका एकादशी को भगवान विष्णु का उत्तम व्रत माना जाता है। कामिका एकादशी उपासकों के कष्ट दूर करती है और उनकी इच्छापूर्ती करती है।



चूंकि सावन के महीने को एक धार्मिक महीना माना जाता है इसलिए इस महीने में कामिका एकादशी पडऩे के कारण इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। भगवान विष्णु के सभी अनन्य भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा से भगवान की आराधना करते हैं और सफल जीवन की कामना करते हैं। श्रावण मास में पडऩे वाली कृष्ण एकादशी को ही कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, सभी बिगड़े काम बन जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
एकादशी का महत्व : कामिका एकादशी का व्रत करने से सबके बिगड़े काम बन जाते है। विशेष रूप से इस तिथि में विष्णु जी की पूजा-अर्चना करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। व्रत के फलस्वरूप भगवान विष्णु की पूजा से उपासकों के साथ उनके पित्रों के भी कष्ट दूर हो जाते हैं। उपासक को मोक्ष प्राप्ति होती है। इस दिन तीर्थस्थानों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फलप्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान विष्णुजी की पूजा करने से, सभी गन्धर्वों और नागों की भी पूजा हो जाती है। श्री विष्णुजी को यदि संतुष्ट करना हो तो उनकी पूजा तुलसी पत्र से करें। ऐसा करने से ना केवल प्रभु प्रसन्न होंगे बल्कि आपके भी सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है।
व्रत व पूजा विधि : एकादशी तिथि पर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले संकल्प लें और श्री विष्णु के पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें। प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें। आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जप अवश्य करें। इस प्रकार विधिनुसार जो भी कामिका एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं।



व्रत नियम



  • आमतौर पर कामिका एकादशी के व्रत के नियमों का पालन तीन दिनों यानि दशमी, एकादशी और द्वादशी को करना पड़ता है। अगर व्रत के नियमों का पालन सही तरीके से किया जाए तो कामिका एकादशी का उपवास सफल सिद्ध होता है और व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

  • कामिका एकादशी का व्रत रखने वालों को दशमी, एकादशी एवं द्वादशी यानि तीन दिनों तक चावल, लहसुन, प्याज और मसूल की दाल नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा मांसाहारी भोजन एवं मदिरा से भी परहेज करना चाहिए।

  • उपवास रखने वाले जातकों को एकादशी के दिन पेड़ पौधे नहीं तोडऩे चाहिए एवं अपने दांतों को उंगली से साफ करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन किसी व्यक्ति की बुराई नहीं करनी चाहिए।

  • उपवास रखने वाले जातक को दशमी के दिन एक समय भोजन करना चाहिए और सूरज डूबने के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

  • दशमी के अगले दिन अर्थात एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान करके साफ सुथरा वस्त्र धारण करना और पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

  • एकादशी की रात जागरण करने का भी विशेष महत्व है। इसे कामिका एकादशी व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

  • द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर पंडित को अपने सामर्थय के अनुसार दान दक्षिणा देनी चाहिए। 


व्रत कथा


भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया एकादशी का महत्व
युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि हे प्रभु श्रावण के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है। उसका वर्णन करें और कृपा करके उसकी कथा सुनाएं। कृष्ण ने कहा, राजन सुनों मैं तुम्हें कथा सुनाता हूं। एक नगर में एक ठेठ ठाकुर और एक ब्राह्मण रहते थे। दोनों की एक दूसरे से बनती नहीं थी। आपसी झगड़े के कारण ठाकुर ने ब्राह्मण को मार डाला। इस पर नाराज ब्राह्मणों ने ठाकुर के घर खाना खाने से मना कर दिया। ठाकुर अकेला पड़ गया और वह खुद को दोषी मानने लगा। ठाकुर को अपनी गलती महसूस हुई और उसने एक मुनी से अपने पापों का निवारण करने का तरीका पूजा। इस पर, मुनी ने उन्हें कमिका एकदशी का उपवास करने के लिए कहा। ठाकुर ने ऐसा ही किया। ठाकुर ने व्रत करना शुरू कर दिया। एक दिन कामिका एकादशी के दिन जब ठाकुर भगवान की मूर्ति के निकट सोते हुए एक सपना देखा, भगवान ने उसे बताया, ठाकुर, सभी पापों को हटा दिया गया है और अब आप ब्राह्मण हटिया के पाप से मुक्त हैं। इसलिए, इस एकादशी को आध्यात्मिक साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह चेतना से सभी नकारात्मकता को नष्ट करता है और मन और हृदय को दिव्य प्रकाश से भर देता है।