डीएचएफएल का निकला दिवाला

कई आवासीय मकानों के मामले पेंडिंग


जगदीश जोशी 'प्रचण्ड'
इंदौर/भोपाल। अधिक ब्याज दरों पर तुरन्त लोन देने वाली फायनेंस कम्पनी दिवान हाउसिंग अब सांसें ले रही है।अनसिक्योर लोन को भी देने में माहिर डीएचएफएल की दिवालिया स्थिति के चलते वे ऋण धारक परेशान हो रहे हैं जो अब अपने ऋण को किसी नेशनल बैंक में स्थानांतरित करना चाहते हैं।
दिवालिया होकर हाँफ रहे दिवान ने ऐसे कई मामलों को पेंडिंग पटक रखा है जिससे ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है कई ग्राहकों को एलओडी, लोन स्टेटमेंट सहित अन्य कागजो को देने में जानबूझकर लेटलतीफी की जा रही है।



दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के निवेशक रोजाना कंपनी के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी 10 हजार से ज्यादा निवेशकों के 400 करोड़ रुपए अटक गए हैं। हालांकि कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि हम क्लेम स्टेलमेंट के लिए एफडी ले रहे हैं, जैसे ही दिवालिया प्रक्रिया पूरी होगी, रकम आने लगेगी। अकेले जयपुर में 3000 से ज्यादा निवेशकों की करीब 100 करोड़ की फिक्सड डिपॉजिट है। 
नए कानून लागू होने के बाद यह पहला मौका है जब किसी एनबीएफसी के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू की गई है। इससे पहले फाइनेंस कंपनियों को दिवालिया कानून के दायरे से बाहर रखा गया था। आवेदन पर फैसला होने तक इसमें कंपनी द्वारा सभी तरह के भुगतान पर भी रोक लगा दी है। 
कुल 88 हजार करोड़ बकाया
डीएचएफएल पर बैंकों, एनएचबी, म्यूचुअल फंडों और बॉन्ड धारकों के 88,000 करोड़ रुपए बकाया थे। इसमें से 74,054  करोड़ के कर्ज सिक्योर्ड और 9, 818 करोड़ रुपए के कर्ज अनसिक्योर्ड हैं। रिटेल निवेशक अनसिक्योर्ड वर्ग में आते हैं। 
शेल कंपनियां बना लिया बैंकों से ऋण
डीएचएफएल बधावन ग्लोबल कैपिटल के स्वामित्व वाली एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी है। कपिल वाधवन, अरुणा वाधवन और धीरज वाधवन डीएचएफएल के प्रमोटरों ने वाधवन समूह के स्वामित्व वाली शेल कंपनियों को वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए हजारों करोड़ रुपए का उधार देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों से कथित रूप से असुरक्षित ऋण लिया।
किस बैंक का कितना बकाया
- बैंक ऑफ इंडिया  4,125 करोड़ रुपए
- केनरा बैंक   2,682 करोड़ रुपए
- बैंक ऑफ बड़ौदा  2,074 करोड़ रुपए
- एसबीआई   10.083 करोड़ रुपए
- नेशनल हाउसिंग बैंक  2,433 करोड़ रुपए 
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया  2,378 करोड़ रुपए 
- सिंडीकेट बैंक   2,229 करोड़ रुपए