अर्जुन को शिव ने दिया था युद्ध में विजय प्राप्त के लिए पाशुपतास्त्र अस्त्र


सावन का महीना चल रहा है और यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। ऐसे में इस महीने में महादेव को प्रसन्न करने के लिए तमाम तरह की साधनाएं की जाती हैं, जिनसे प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने भक्तों की सभी बाधाएं दूर करते हुए मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. ब्रह्मांड में तीन सबसे बड़े अस्त्र माने गए हैं, जिनमें पहला पशुपतास्त्र, दूसरा नारायणास्त्र एवं तीसरा ब्रह्मास्त्र है. इसी के साथ पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव के पास त्रिशूल के अलावा चार शूलों वाला परम शक्तिशाली दिव्य अस्त्र है, जिसे पशुपतास्त्र कहा जाता है।
कहते हैं महाभारत के युद्ध में विजय की कामना करते हुए अर्जुन ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करके इस पाशुपतास्त्र को प्राप्त किया था। भगवान शिव ने इसे अर्जुन को देते हुए कहा था कि इसे तुम्हें चलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसे पास रखने मात्र से ही तुम्हारी विजय हो जाएगी और यदि तुमने इसे गलती से चला दिया तो संसार में प्रलय आ जा जाएगा।