अपनी पत्नी को दिए श्राप से मुक्ति पाने के लिए महर्षि गौतम ने किया था व्रत

 


 



आज शनिवार 20 जुलाई को श्रावण मास चतुर्थी है। श्रावण मास की चतुर्थी का सभी चतुर्थियों में विशेष महत्व है। वहीं कहते हैं इस चतुर्थी से साल भर की चतुर्थी के संकल्प लिए जाते हैं और दूसरे शब्दों में इस तिथि से साल भर आने वाली चतुर्थी के व्रत लिए जा सकते हैं। इस दिन व्रत करने से साल के सभी चतुर्थी व्रतों के बराबर फल मिल जाता है और श्रावण कृष्ण चतुर्थी व्रत के बारे में कहा जाता है कि हनुमान जी ने सीता माता की खोज में जाने पर सफलता पाने के लिए यह व्रत किया था। महर्षि गौतम ने जब अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप दे दिया था, तब उससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने यह व्रत किया था।
इस दिन सूर्यदेव और श्री गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और लाल वस्त्र पहने हुए गणेश चित्र या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद 21 दूर्वा ले लें और ये मंत्र बोलते हुए दो-दो दूर्वा अर्पित करें- गणाधिपाय नम:, उमापुत्राय नम:, अघनाशनाय नम:, एकदन्ताय नम:, इभवाक्त्राय नम:, मूषकवाहनाय नम:, विनायकाय नम:, ईशपुत्राय नम:, सर्वसिद्धिप्रदायकाय नम: और कुमारगुरवे नम: अब इसके बाद बची 1 दूब भी इन 10 नाम से अर्पित कर दें। अब उसके बाद फूल आदि से पूजा कर कहें- 'संसारपीडाव्यथितं हि मां सदा संकष्टभूतं सुमुख प्रसीद, त्वं त्रहि मां मोचय कष्टसंघान्नमो नमो विघ्ननाशनाय,' इसके बाद घी, गेहूं और गुड़ से बने 21 मोदकों में से एक गणेश को अपर्ण करें और अन्य 10 मोदक दक्षिणा सहित ब्राह्मणों को दें और शेष 10 मोदक अपने लिए रख लें। अब रात को तांबे के लोटे में लाल चंदन, कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, दही और जल मिलाकर नारद पुराण के इस मंत्र का पाठ करते हुए चंद्रमा को 7 बार अर्घ्य दें-



गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्य मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक।।