आनंदपुर साहिब सिख धर्म में अमृतसर के बाद दूसरा पवित्र स्थान

आनन्दपुर साहिब सिख धर्म में अमृतसर के बाद दूसरा पवित्र स्थान है। तख्त श्री केसगढ़ साहिब गुरुद्वारा आनन्दपुर साहिब के मध्यकेन्द्र में स्थित है। कहा जाता है कि आनन्दपुर साहिब में माथा टेकने से सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। 



आनन्दपुर साहिब का इतिहास 
आनन्दपुर साहिब शहर की स्थापना नौंवे गुरु तेग बहादुर जी द्वारा सन् 1664 में की गई थी। उसके बाद गुरु गोबिंद सिंह जी ने लगभग 28 वर्षों तक यहां निवास किया था। आनन्दपुर साहिब के तख्त श्री केसगढ़ साहिब में ही गुरु गोबिंद सिंह ने सन 1699 में पंज प्यारों की उपाधि दी थी और खालसा पंथ की शुरुआत हुई थी। 
होली पर विशेष आयोजन
होली के समय यहां की रौनक देखने लायक होती है। इस अवसर पर यहां होला मोहल्ला का आयोजन किया जाता है। होला मोहल्ला यहां तीन दिन के लिए मनाया जाता है। इस दौरान धार्मिक सम्मेलनों का भी आयोजन किया जाता है। होला मोहल्ला यहां तीन दिन के लिए मनाया जाता है। इस दौरान धार्मिक सम्मेलनों का भी आयोजन किया जाता है। प्रत्येक वर्ष होला मोहल्ला रंग और उल्लास का त्योहार में देशभर से लगभग 1,0,000 श्रद्धालु मेले में हिस्सा लेते हैं। मेला तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर गुरुद्वारा को विशेष तौर पर सजाया जाता है। इस अवसर पर सामुदायिक सम्मेलनों और धार्मिक कार्यों का भी आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर देशभर के सभी निहंग समारोहों के लिए इक_ा होते हैं। मेले के मुख्य आकर्षण अंतिम दिन होते हैं, जिसमें सभी निहंग अपने पारंपरिक पोशाक और हथियारों के साथ एक विशाल जुलूस निकालते हैं।