12 साल तक 5000 कामगारों की मेहनत से बनी थी दिल्ली की जामा मस्जिद


मुगल शासक शाहजहां ने 1644 और 1656 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद को तकरीबन 5000 कामगारों ने बनाया था। असल में इसे मस्जिद-ए-जहांनुमा कहा जाता था। शाहजहां के शासन में वजीर रह चुके सादुल्लाह खान के नेतृत्व में इसका निर्माण किया गया था। उस समय इसे बनवाने में तकरीबन 1 मिलियन रुपयों की लागत लगी थी। शाजहां ने आगरा में ताजमहल और नयी दिल्ली में लाल किले का निर्माण भी करवाया था। ये बिल्कुल जामा मस्जिद के विपरीत दिशा में ही है। जामा मस्जिद का उद्घाटन 23 जुलाई 1656 को उजबेकिस्तान के बुखारा के मुल्ला इमाम बुखारी ने किया था। ये सब उन्होंने शाहजहां के निमंत्रण भेजने पर ही किया था। एक समय में एक साथ 25000 लोग जामा मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं और इसलिए इसे भारत की सबसे विशाल मस्जिद भी कहा जाता है। इस मस्जिद को साधारणत: जामा कहा जाता है जिसका अर्थ शुक्रवार होता है। मस्जिद को बनने में पुरे 12 साल लगे और तकरीबन 5000 लोगों ने मिलकर इसे बनवाया था और इसे बनाने में 1 मिलियन रुपयों की लागत लगी थी। दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। मुगल शासक शाहजहां का यह अंतिम आर्किटेक्चरल काम था। इसके बाद उन्होंने किसी कलात्मक इमारत का निर्माण नहीं किया। जामा मस्जिद का अर्थ शुक्रवार मस्जिद होता है। मस्जिद में एकसाथ 25000 लोग एक ही समय में नमाज पढ़ सकते हैं।