यहां निकल रहे रथ, कंकाल, तलवार और ताबूत

बड़ौत। इतिहासविद संभावना जताते हैं कि इस जमीन के गर्भ में महाराभारत काल के किसी नगर के साथ-साथ कोई प्राचीन शाही घराना भी हो सकता है। खुदाई का द्वायरा बढ़ेगा तो कई अनसुलझे रहस्य बेपर्दा होंगे। हालांकि, एएसआई अभी इस बारे में कुछ भी कहने से बच रही है। सिनौली में 2005 में प्रथम चरण के उत्खनन में शवाधान केंद्र और 2018 में दूसरे चरण में हुई खुदाई में प्राचीन रथ आदि मिले थे। अब यहां तीसरे चरण की खुदाई प्रगति पर है। पुराविदों को यहां प्राचीन दीवार मिलने के संकेत मिल रहे हैं। इससे टीम काफी उत्साहित है। 



सामने आएगा नया इतिहास


शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक अमित राय जैन ने प्राचीन दीवार के संबंध में दावा किया है कि यह शवाधान केंद्र की चहारदीवारी हो सकती है। यहां पहले चरण की खुदाई में बड़ा शवाधान केंद्र मिल चुका है। ईंटों के काफी बड़े आकार और विशेष बनावट से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह करीब 4000-4500 साल पुरानी हो सकती है। पिछली बार खुदाई में निकली इसी तरह की ईंटों की कार्बन डेटिंग से इनके काल की पुष्टि हो चुकी है, इसलिए देश-दुनिया के लोगों की निगाह सिनौली पर जमी है। उम्मीद यह भी है कि जो पहले दो चरणों की खुदाई में नहीं मिल सका है वह तीसरे चरण की खुदाई में मिल सकता है। यानी, सिनौली की धरती किसी शाही परिवार या किसी युद्ध का नया इतिहास सामने ला सकती है। यह काल महाभारत का भी हो सकता है। 
मैं दावा करता हूं कि यह क्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यदि गंभीरता से खुदाई हो तो यहां किसी शाही परिवार या बड़े योद्धाओं का इतिहास सामने आ सकता है।


- प्रो. डॉ. केके शर्मा 


इतिहास के एसोसिएट एमएम कॉलेज, मोदीनगर



साइट से काफी प्राचीन पुरावशेष मिल रहे हैं। इससे क्षेत्र के लोग खासे उत्साहित हैं। मेरा दावा है कि हमारे गांव की धरती से कोई नया रहस्य उजागर हो सकता है। 


- उषा देवी 
सिनौली गांव की प्रधान