सूर्य ग्रहण के दौरान 12 घंटों के लिए सूतक काल लगने पर देवालयों के पट कर दिए जाते हैं बंद
ग्रहण के दौरान धरती पर सूर्य किरणों का विशेष प्रभाव पड़ता है जिससे बचना चाहिए
सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है। सामान्यतःसूतक काल में शुभ वर्जित माने जाते हैं। ग्रहण काल में सूतक लगता है। ग्रहण के समय 12 घंटे से पूर्व सूतक काल आरम्भ हो जाता है। ग्रहण का ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया ही समाप्त होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान घंटों के लिए सूतक काल लगने पर देवालयों के पट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसे में आराधना निषेध माना जाता है।
सर्य ग्रहण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका असर उन सभी जगहों पर पड़ता . जहां पर यह दिखाई देता है। ग्रहण के प्रभाव में आने से पृथ्वी के जीव-जन्तु से लेकर पेड़-पौधों तक पर पड़ता है। इसलिए शास्त्रों में ग्रहण के सूतक काल के दौरान कई बातों का निषेध बताया गया । इसका पालन करने से सूर्य ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है। इस बार 26 दिसंबर को है सूर्यग्रहण है।
सूर्य ग्रहण में बरतें सावधानियां
सूर्य ग्रहण प्रारंभ होने से 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो जाता है। इस दौरान धरती पर सूर्य किरणों का विशेष प्रभाव पड़ता है, जिससे बचने की सलाह शास्त्रों में दी जाती है। सूर्य ग्रहण के सुतक काल के दौरान शमशान या ऐसी किसी जगह जैसे खंडहर या सूनसान स्थान से ना गुजरें, क्योंकि ऐसे समय बुरी शक्तियां ज्यादा सक्रिय होती है, जो आपको अपने आगोश में ले सकता है। सूतक के समय गर्भवती स्त्रियों को खास ऐहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान सब्जी या किसी भी चीज को काटना नहीं चाहिए। साथ ही सूई-धागे का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के सूतक काल से ही खाद्य सामग्रियां दूषित हो जाती है, इसलिए इस दारान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। सतक काल के दौरान शयन का भी निषेध है, लेकिन बच्चों, वृद्धों और बीमारों पर यह नियम लागू नहीं होता है। सूतक काल के समय तुलसी दल को तोड़ना और स्पर्श करना मना है। इस दौरान देव मूर्तियों के स्पर्श को भी मनाही है। सूतक काल के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। नहीं तो इस दौरान गर्भधारण होने पर होने वाला बच्चे पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। ग्रहण के दौरान सुर्य बगैर किसी बाधा के दिखाई देता है और इसको देखने पर सूर्य की चुभन भी महसूस नहीं होती है, लेकिन ऐसी गलती कभी ना करें, नहीं तो हमेशा के लिए आंखों पर बुरा असर हो सकता है। ग्रहण के नजारे देखने के लिए तयशुदा मानकों का पालन करें।
ग्रहण और सूतक काल में क्या करें
सूर्य ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों का निषेध होता है, जबकि जप आदि काम कर सकते है। ऐसे समय जप का अनन्त गुना फल मिलता है। इसलिए इस दौरान जप करने का विधान है। इस दौरान किया गया जप सिद्ध हो जाता है। इस दौरान पकाया हुआ खाना दूषित हो जाता है इसलिए ग्रहण का सूतक लगने से पहले ने पीने की वस्तुओं में तुलसी दल अवश्य डालें। घर में यदि छोटे बच्चे हैं तो उनको सूतक काल के समय बिलकुल अकेला न छोड़ें। नवजात शिशु का इस दौरान खास ख्याल रखें। गर्भवती महिलाओं पर सूतक काल का विशेष प्रभाव पड़ता है इसलिए इस दौरान सुर्य किरणों के प्रभाव में नहीं आना चाहिए। ग्रहण की छाया गर्भ पर नहीं पड़ना चाहिए। यदि घर में मंदिर है तो इस दौरान मंदिर के पट बंद कर दें या दरवाजे नहीं है तो परदा डाल दे। यदि किसी प्रकार की सिद्धी प्राप्त करना हो तो, सूतक काल में अपने इष्ट देव या देवी-देवता का जाप करें। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में रखा हुआ पानी बदल दें। ग्रहण के समास होने पर पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें नहीं तो घर पर स्नान कर शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूर्ण करें। ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने पर जरूरतमंदों को दान करें। इस दौरान दिए गए दान का अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। ग्रहण काल के दौरान पहने गए वस्त्रों को किसी को दान करें या उतार कर कहीं पर छोड़ दें।
रविवार के दिन करें भगवान सूर्यदेव की पूजा
धन-संपत्ति और शाओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ
जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का वत सर्वश्रेष्ठ है। रविवार का वत करने वळ्या सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। सूर्योपनिषद के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि और उसका पालन सूर्य ही करते हैं। सूर्य टी संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं। इस कारण वैदिक काल से ही सूर्योपासना का प्रचलन रखा है। रविवार का दिन सूर्य देवता की पूजाकारहै। जीवन में सुखसमृद्धि, धन-संपत्ति और राओं से सुरक्षा के लिए रविवार का बत सर्वश्रेष्ठ है। रविवार का व्रत करने का सुनने से मनुष्य की समी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सूर्यदेव पूजा का महत्व
सूर्य भगवान का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है। सूर्य भगवान को प्रसन्न करने से व्यक्ति अनेक समस्याओं से बाल आ सकता है। अनेक पुराणों में यह आख्यान भी मिलता है कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कुष्ठरोग अस्त श्रीकृष्ण पुत्र साम्ब ने सूर्य की आराधना कर इस भयंकर रोग से मुक्ति पायी थी। ऐसे में मान्यता है कि सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्धय देने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। दरिदता व अन्य नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। सूर्य आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अत्यधिक वाकीवप्रभावशाली है। सदान, रोग मान और भय से मुक्त कता है।