इस नाम की एक फिल्म आई थी -
सस्पेंस थ्रिलर !
उस फिल्म के जैसी ही स्थितियां इंदौर में चल रही हैं। #जीतू_सोनी के अख़बार के कार्यालय, निवास, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर छापे मारे गए, उन्हें ज़मींदोज़ कर दिया गया, जीतू पर एक के बाद एक करके दो दर्ज़न से ज़्यादा मामले कायम कर दिए गए, अख़बार का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया, बेटे- भतीजे को भी अपराधी घोषित कर दिया गया। जीतू को भगोड़ा घोषित करके पहले दस हज़ार, फिर बीस हज़ार, फिर तीस हज़ार और अब एक लाख रूपये के ईनाम की अनुशंसा कर दी गई । अखबार के सम्पादक, रिपोर्टर से भी पूछताछ की जा चुकी है। इसी अख़बार से दीपक चौरसिया, सिद्धार्थ शर्मा, आकाश सोनी जैसों ने पत्रकारिता की शुरूआत की थी। सोशल मीडिया की पोस्ट के अनुसार जीतू सोनी को भी हैदराबाद स्टाइल में निपटाया जा सकता है।
जीतू सोनी की खूबी रही कि सूबे के तमाम लोगों के कारोबार और कारनामों की जानकारी दस्तावेज़ सहित उनके पास रहती थी। पता रहता था कि सिमी का नेटवर्क कैसे फ़ैल रहा है, कांग्रेस नेत्री की हत्या किसने कराई, किसके कितने डम्पर हैं, व्यापमं में किस-किस ने घोटाले किये हैं, ड्रग ट्रायल करने वाले डॉक्टर कौन हैं, पोषण आहार की सप्लाय कौन-कौन कर रहा है और कितना, किस सरकारी ज़मीन पर फाइव स्टार होटल बना है और किस-किस ने रिज़र्व फॉरेस्ट एरिया में अतिक्रमण कर के शिक्षा की दुकानें खोल रखी हैं, कौन अफ़सर मुंबई में महिलाओं के लिए होटल बुक करवा रहा है, किस अंग्रेज़ी दैनिक का सम्पादक अपनी बीवी के साथ सीएम की अनुकम्पा से सिंगापुर घूमने गया है, कौन-सा नेता जेल में जाने के बाद भी मुंह नहीं खोल रहा है और क्यों ? कौन-कौन से आसमानी-सुलेमानी, साधु-महन्त, साहित्यकार और कलाकार किसके साथ टांका भिड़ा रहे हैं, कौन-सी नेत्री ने मंत्री बनने के एक हफ़्ते में कौन सी गाड़ी खरीदी और किस ड्राइवर की किस्मत पत्नी के मंत्री बनने के बाद जागृत हो गई। आदिवासी विकास की मद का पैसा किस किस के खाते में चला गया, किस पुलिस अफसर के कितने होटल और शराब के बार हैं, करोड़ों की चार्टर्ड बसों का असली मालिक कौन है, जो कंपनियां टोल टैक्स वसूल रही हैं उनके स्लीपिंग पार्टनर कौन कौन हैं? किस मीडिया हाउस ने भूमि के घोटाले किये हैं और कबीटखेड़ी की सरकारी ज़मीन कबीरखेड़ी के नाम पर बेच खाई, बहुमंजिला इमारतों में अवैध पेंटहाउस रखनेवाले अफसर कितने और कौन हैं, ईमानदारी का ढोल पीटनेवाले देवदूतों की असलियत क्या है? चम्बल के बीहड़ों में कौन-सा नेता रसद भिजवाता था? कौन सा नेता फर्ज़ी जाति -प्रमाणपत्र देकर मंत्री बन बैठा, किस संत की दुकान कैसी है और उसने कहाँ-कहाँ फंडिंग कर रखी है, निजी मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने का रेट क्या है? कौन-कौन सा अफसर बीवी के साथ फॉरेन टूर पर है और उसके प्रायोजक कौन हैं? कौन-कौन सा मीडिया हाउस किन किन धंधों में संलिप्त है, किस मंत्री का बेटा विदेशी विश्विद्यालय में कितनी केपिटेशन फीस देकर भर्ती हुआ है, और वह किस भारतीय अफसर के बच्चों के घर में पेइंग गेस्ट है। कौन-कौन से उद्योगपति ने किस बैंक का कितना करोड़ या अरब रुपया डकार लिया, किस क्लब में किस अपराधी की पार्टी में पुलिस अफसर ने शराब के नशे में हंगामा कर डाला......
ग़लत काम करनेवालों को सज़ा मिलनी ही चाहिए, इसमें दो मत नहीं है। जीतू सोनी प्रकरण से यह शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है कि उसे ज़रुरत से ज़्यादा बातें पता थीं। अगर अपनी खैरियत चाहते हैं तो आपको अपने काम से काम रखना चाहिए। बस...