शिवपुरी में केपी सिंह की छत्रछाया में फल-फूल रहा खनन माफिया

शिवपुरी। घटना १-पिछोर थाना क्षेत्र के ग्राम अकबई बड़ी की पहाड़ी पर एक मुरम की खदान पर आए दिन गोली चलने और मारपीट व तोडफ़ोड़ की घटनाओं से ग्रामीणों में दहशत फैली हुई है। शुक्रवार की रात करीब ११ बजे मुरम की खुदाई कर रही जेसीबी मशीन की बाइक से आए कुछ बदमाशों ने तोडफ़ोड़ कर दी और जेसीबी चालक से मारपीट कर दी। पुलिस के पहुंचने से पहले बदमाश फरार हो गए। 



घटना २- बीती ३० मई की रात शिवपुरी जिले के करैरा में अवैध तरीके से रेत लेकर जा रही ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोकने की कोशिश कर रहे एसआई और आरक्षक पर जानलेवा हमला किया गया। यह कोई पहली या अंतिम घटना नहीं है। शिवपुरी जिले में अवैध उत्खनन और परिवहन का कारोबार खास संरक्षण में इतनी दबंगता से चल रहा है कि पुलिस-प्रशासन और खनिन विभाग तक उसके सामने असहाय है। शिवपुरी जिला और खासकर पिछोर विधानसभा क्षेत्र अवैध खनन को लेकर बीते पच्चीस-तीस साल से बदनाम है तो इसकी एक बड़ी वजह बीते २६ साल से यहां के विधायक केपी सिंह कक्काजू भी हैं। पत्थर, मुरम और रेत खनन को लेकर यहां गैंगवार और पुलिस अथवा वन अमले से झड़प आम बात है। यह कारोबार इतने सुनियोजित तरीके से चलता है कि उसके सामने सरकार तक हथियार डाल चुकी है।
सूत्रों के अनुसार शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा में अधिकांशत: खदानों का कारोबार होता है और इन खदानों को रोकने की हिम्मत किसी की भी नहीं है। स्थानीय भाजपा नेता और अधिकारी तक दबे स्वर में इस कारोबार में क्षेत्रीय विधायक केपी सिंह की साइलेंट पार्टनरशिप होना बताते हैं। भाजपा नेता प्रीतम लोधी आरोप लगाते हैं कि पिछोर में विधायक केपी सिंह की पहचान खनन माफिया के संरक्षक के तौर पर की जाती है। कक्काजू की सरपरस्ती के कारण क्षेत्र में अवैध उत्खनन और परिवहन का कारोबार धड़ल्ले से चलता है। सूत्र बताते हैं कि पिछोर के खदान क्षेत्रों में न तो पुलिस की दखलंदाजी होता है और न ही खनिज विभाग इस ओर कोई कदम उठाता है। हालांकि देखने-दिखाने को कई बार अवैध उत्खनन में लिप्त रहने वाले डंपरों को जरूर पकडक़र कार्यवाही की जाती है, ताकि पिछोर क्षेत्र में खनन कारोबार में कोई अड़चन न आए। सूत्रों के अनुसार खनन माफिया पुलिस और प्रशासन के अफसरों को भी उपकृत करता रहता है। केपी सिंह के इस गढ़ में उनके तिलस्म को तोडऩे का जतन भाजपा ने कई बार किया, लेकिन सफल नहीं हो सकी। २००३ में तो उमा भारती ने अपने भाई स्वामी प्रसाद लोधी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा था, इसके बाद बीते दो चुनाव से प्रीतम लोधी पर भाजपा दांव लगा रही है। भाजपा को इतनी सफलता जरूर मिली है कि वह केपी सिंह के जीत के अंतर को घटाने में कामयाब हुई। २०१८ के विधानसभा चुनाव में केपी सिंह बमुश्किल २६७५ वोट से ही जीत पाए। प्रदेश में कांगे्रस की सरकार बनने के साथ एक बार फिर उनकी सरपरस्ती में क्षेत्र में अवैध उत्खनन जोर पकड़ चुका है।