शिव-राज के घपलेबाज अफसरों से होगी वसूली

भोपाल। खस्ताहाल खजाने को भरने के जतन कर रही कमलनाथ सरकार अब आय बढ़ाने के स्रोतों के साथ ही अपनी डूबत रकम को वापस लेने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस कदम के निशाने पर वे अधिकारी-कर्मचारी आएंगे, जिन्होंने बीते १५ साल में सरकारी योजनाओं में गड़बड़झाला किया है। ऐसे अफसरों से अब रिकवरी की जाएगी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी।


पहले चरण में १० करोड़ रुपये से अधिक की राशि की अनियमितता वाले प्रकरणों को वसूली के दायरे में लिया जाएगा। 
वित्त विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखकर पांच सितंबर तक ऐसे प्रकरणों की जानकारी मांगी है, जिनमें प्रदेश के महालेखाकार ने बीते पंद्रह सालों में शासकीय धन की अनियमितता पकड़ी है और उसे वसूल करने के निर्देश दे रखे हैं। विभाग ने इसके लिए वर्ष २००४ से वर्ष २०१८ तक की अवधि के दस करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी वाले प्रकरणों की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। वित्त विभाग के अफसरों द्वारा भाजपा शासनकाल के दौरान महालेखाकार द्वारा किए गए परीक्षण के अवलोकन में उजागर हुआ है कि कई विभागों में इस राशि से अधिक शासकीय व्यय में अनियमितता के मामले हैं, जिनका बीते सालों में समाधान नहीं किया गया है। विभाग का अनुमान है कि इन मामलों में सख्ती से वसूली की जाएतो बड़ी राशि सरकारी खाते में वापस लौट सकती है। 
फिर २ हजार करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी में कमलनाथ सरकार
आर्थिक तंगी से जूझ रही कमलनाथ सरकार बाजार से एक बार फिर कर्ज लेने की तैयारी में है। इस बार सरकार २ हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लेगी। ३ सितंबर को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के जरिए ये कर्ज लिया जाएगा। जानकारों की मानें तो किसानों की कर्जमाफी का वायदा पूरा करने और विकास योजनाओं के लिए सरकार को यूं हर महीने कर्ज लेना पड़ रहा है। 
इस साल साढ़े १२ हजार करोड़ का कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार जनवरी से लेकर अगस्त तक १२ हजार ६०० करोड़ रुपए का कर्ज पहले ही ले चुकी है। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में ६ हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है। हालांकि सरकार अभी भी १६ हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से और ले सकती है। सूत्रों की मानें तो किसानों की दो लाख रुपए तक की कर्जमाफी का वायदा पूरा करने और विकास योजनाओं के लिए बजट की जरूरत के चलते सरकार की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है। इसी कारण सरकार को बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है।