सपने में श्रीकृष्ण दिखे और बन गया करौली में मंदिर

भगवान कृष्ण का यह विशाल कलात्मक मंदिर राजस्थान प्रदेश के करौली जिले में स्थापित है। यह मंदिर जयपुर से १५० किमी. एवं हिंडोन रेलवे स्टेशन से २५ किमी. दूर है। करौली के राजा गोपाल सिंह जी को दौलताबाद का युद्ध जीतने के बाद उन्हें स्वप्न में भगवान कृष्ण दिखाई दिए। भगवान श्रीकृष्ण ने राजा को आदेश दिया कि जयपुर के आमेर किले में उनका एक विग्रह स्थापित है उसे करौली लाकर स्थापित करो। राजा गोपाल सिंह वह विग्रह जयपुर के राजा से मांगकर लाये और उन्होंने करौली में भगवान मदन मोहन को स्थापित किया।



यह मंदिर १७वीं शताब्दी में राजा गोपाल सिंह द्वारा स्थापित किया गया। यह मंदिर गौडिय़ा संप्रदाय से संबंधित है। मंदिर का निर्माण करौली के कीमती पत्थरों से किया गया है। मध्यकाल की सुंदर वास्तुकला से यह मंदिर पूरी तरह सुसज्जित है। मध्य भारत के राजस्थानी कला का यह एक अनुपम उदाहरण है। परिक्रमा मार्ग को कृष्ण लीला के सुंदर चित्रों से सजाया गया है गर्भगृह, दर्शन मंडप में भी कृष्ण लीला के बहुत से चित्र सुसज्जित हैं। इस मंदिर का निर्माण करौली के चूने और पत्थरों से किया गया है। मंदिर तीन वर्षों में बनकर तैयार हुआ। भगवान कृष्ण का यह मंदिर केवल राजस्थान में ही नहीं पूरे देश में चर्चित है और विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर की संपूर्ण पूजा-अर्चना गौडिय़ा संप्रदाय के विधिविधान से होती है। 
यह मंदिर करौली किल के पास स्थापित है। इसकी सुंदरता विदेशियों को आकर्षित करती है। मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण की ३ फुट ऊंची अष्टधातु की मूर्ति सिंहासन पर बैठी मुद्रा में है। चांदी का सिंहासन विलक्षण है। मदन मोहन जी के मसतक पर चांदी का गोल मुकुट विराजमान है। श्री मदन मोहन जी का श्रृंगार, वस्त्र, आभूषण फूल-मालाओ से नित्य किया जाता है, उनके बगल में राधाजी की २ फुट ऊंची मूर्ति स्थापित है। 
मंदिर में सभी हिंदू पर्व मनाए जाते हैं, जन्माष्टमी, राधाष्टमी, गोपाष्टमी, हिंडोला और प्रत्येक माह की अमावस्या को एक पर्व भारी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन पर्वों पर पचासों हजार की भीड़ होती है। मंदिर दर्शन का समय प्रात: ५ बजे से रात्रि १० बजे तक है। मंदिर में नित्य प्रसाद वितरण होता है और आने वाले भक्तों को भोजन कराया जाता है। मंदिर कमेटी द्वारा प्रत्येक वर्ष रामलीला और रासलीला दोनों का आयोजन भव्य विलक्षण और खूबसूरत मंदिर है। यह देश-विदेश के लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। 
करौली के इस मंदिर में विराजमान श्रीकृष्ण का विग्रह बाल रूप में होने के कारण वात्सल्य भक्ति का प्रमुख स्त्रोत है। मंदिर में ४ पुजारी और २५ कर्मचारी कार्यरत हैं। प्रतिवर्ष २०-२२ लाख से भी अधिक भक्त दर्शन करते हैं।