प्रोटेस्टियन चर्च : अनंत तक पहुंचती है प्रभु से की गई प्रार्थना

ईसाई समाज का भी अपना इतिहास है। इसमें एक मत है कैथोलिक और दूसरा प्रोटेस्टियन। यहां ऊंचे आकार के विशिष्ट शिल्प के प्रोटेस्टियन मत के चर्च कुछ खास हैं।



प्रोटेस्टियन चर्च गौतिक वास्तुशैली से बने हैं। कैथोलिक चर्च में माता मरियम और प्रभु ईसा मसीह की मूर्ति होती है। प्रोटेस्टियन चर्च में कोई मूर्ति नहीं होती। इनकी आकाश की ओर नुकीली चोटी यह संदेश देती है कि यहां प्रभु से की गई प्रार्थना ऊपर अनंत तक पहुंचती है। वास्तुविद मानते हैं कि किसी भी ऊंची इमारत में मौसम का असर न्यूनतम होता है। यह चर्च इस तरह बनाई हैं, जिससे सूरज की रोशनी पर्याप्त मात्रा में आए। इनमें ऊर्जा का संचार ज्यादा हो और मन को शांति मिले। प्रोटेस्टियन चर्च की ऊंचाई परमेश्वर की ऊंचाई दर्शाती हैं। वहीं फादर मार्क वाल्स के मुताबिक, बिना मूर्ति वाली यह चर्च इस तरह बनाई जाती थीं कि आवाज गूंजे और प्रवचनकर्ता का प्रभाव ज्यादा से ज्यादा हो। मुगल सम्राट अकबर ने बुलंद दरवाजा अपने मजबूत साम्राज्य और प्रभुत्व को दिखाने के लिए बनवाया। प्रोटेस्टियन की ऊंची चर्च के पीछे भी अपने प्रभुत्व और अस्तित्व को प्रभावशाली दिखाने की मंशा थी। ये बाहर से यह ज्यादा सजी-धजी नहीं होतीं, लेकिन अंदर से इनका वास्तु काफी खास होता है।