लुक-छुप कंपनी के संचालकों ने निवेशकों को लगाया करोड़ों का चूना

मास्टर माइंड अब भी पुलिस से कोसों दूर


 


देवास। इंदौर की एक कंपनी द्वारा फेसबुक जैसी एप्लीकेशन लुकचुप का प्रमोशन करने के लिए फ्रेंचाइसी देने के नाम पर देवास के आधा दर्जन से अधिक लोगों के साथ एक करोड़ से अधिक की ठगी का मामला सामने आया है। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने इंदौर की मेगा माइंड ट्रैकिंग कंसलटेंसी सॉफ्टटेक प्राइवेट लिमिटेड के मालिक सचिन सिसौदिया, उसकी पत्नी रीमा सिसौदिया, शैलेंद्र पिता रामरतन उपाध्याय तथा एजेंट अभिनव मिश्रा व नवीन खंडेलवाल सभी निवासी इंदौर के खिलाफ धारा 420, 506, 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि अभी तक इनमें से किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
कैसे करते थे काम
बताया जा रहा है कि आरोपियों द्वारा 2017 में एक कंपनी बनाकर फेसबुक जैसी एप्लीकेशन लुकचुप रुशशद्मष्द्धह्वश्च ्रश्चश्च बनाई गई थी और इसको आपरेटर करने व उसका प्रमोशन करने के लिए फ्रेंचाइसी देने काम शुरु किया गया। इन लोगों द्वारा फ्रेंचाइसी देते समय प्रलोभन दिया गया कि जो व्यक्ति इन्हें 50 लाख रुपये देगा, उसे प्रतिमाह 16 लाख रुपये दिये जाएंगे और यह क्रम लगातार 24 महीने तक चलेगा। इसी के लालच में आकर कई लोगों ने फ्रेंचाइसी लेना शुरु कर दी। आरोपियों द्वारा देवास आकर फरियादी युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष विश्वजीतसिंह पिता तंवरसिंह चौहान, प्रदीपसिंह पिता प्रेमसिंह ठाकुर निवासी इटावा, सुभाष पिता कैलाश नाथ, सुनील पिता जगदीश ठाकुर, रितेश देशमुख, नागेंद्रसिंह राजपूत व संजय देवल को प्रलोभन देते हुए फ्रेंचाइसी दे दी और इन लोगों से 25 से 50 लाख रुपये तक ले लिये। सभी को एक ऑफिस खोलने तथा उसमें लडक़े रखने के लिए भी कहा गया, जो वहां बैठकर एप्लीकेशन प्रमोशन कार्य कर सके। फ्रेंचाइसी लेने के बाद फरियादियों द्वारा अपने-अपने स्तर पर ऑफिस खोल लिये और वहां पर काम करने वाले लडक़े-लड़कियों को रख लिया, जिसकी सैलरी 3 से 5 हजार रुपये तक रखी गई और काम शुरु हो गया, किंतु एक माह बीत जाने के बाद जब कंपनी द्वारा राशि नहीं भेजी।  इस दौरान कंपनी द्वारा कुछ लोगों को चेक दे दिये गए, किंतु वे बाउंस हो गए। तीन माह बीत गए जब कंपनी के कर्ता-धर्ता कहने लगे कि आसपास फ्रेंचाइसी दिलवाओ और उनसे पैसे दिलवाओ, तभी आपको आपकी रकम लौटाई जा सकती है। ठगी के शिकार हुए आधा दर्जन लोगों ने शहर कोतवाली में लिखित आवेदन दिया, जिसके आधार पर पुलिस ने सचिन सिसौदिया, रीमा सिसौदिया, शैलेंद्र उपाध्याय, अभिनव व नवीन के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज कर लिया है।
देवास का स्कूल संचालक भी शामिल
लुकचुप की फ्रेंचाइसी देने के लिए कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने देवास के एक स्कूल संचालक को भी अपना साथी बनाया था और इसी स्कूल संचालक द्वारा देवास में इस फर्जी कारोबार की नींव रखी गई और फिर अपनी साख के दम पर कई बेरोजगार युवकों को फ्रेंचाइसी दिलाई गई। इस ठगी के शिकार सिर्फ युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ही नहीं बल्कि भाजपा नेता भी है, जो अभी सामने नहीं आए है।
एजेंट कमाते थे 30 लाख रुपये महीना
कंपनी के फर्जीवाड़े का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी में काम करने वाले एजेंट अपने शब्दों के जाल में फंसाकर लोगों को फ्रेंचाइसी देते थे और कंपनी के लिए लाखों-करोड़ों रुपये लाते थे। इसके एवज में कंपनी द्वारा देवास में पदस्थ एजेंट नवीन खंडेलवाल निवासी इटावा को 30 लाख रुपये महीना कमीशन देती थी। यह बात स्वयं नवीन खंडेलवाल ने रामाश्रय होटल में आयोजित एक बैठक में सार्वजनिक रूप से स्वीकार की थी। यही बात दूसरे एजेंट अभिनव मिश्रा निवासी खंडवा ने भी कही थी। मीटिंग के दौरान दोनों एजेंट बेरोजगार युवकों को बड़े-बड़े सब्जबाग़ दिखाते थे और उन्हें अपने जाल में फंसा लेते थे।
देश भर में एक हज़ार करोड़ की ठगी का अनुमान
बताया जा रहा है इस फ्रॉड कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने सबसे पहले इंदौर में अपना ऑफिस स्थापित किया। इसके बाद उज्जैन, देवास, हरदा, भोपाल, खंडवा, खरगोन से निकलकर महाराष्ट्र, राजस्थान में भी ऑफिस खोले गए और इसके बाद देश से छलांग लगाकर दुबई में भी ऑफिस खोल दिया। बताया जा रहा है कि सिसौदिया दंपति व उनके साथियों द्वारा देश भर में हजारों लोगों को करीब एक हजार करोड़ रुपये की चपत लगाई जा चुकी है। इंदौर के एक डॉक्टर को 6 करोड़ का चूना लगाया जा चुका है और 50-50 लाख के कई लोग शिकार हो चुके है, अब अपनी राशि लेने के लिए नायता मुंडला स्थित ऑफिस के चक्कर लगा रहे है, किंतु उन्हें संतोषपद्र जवाब देने के बजाय डराया-धमकाया जा रहा है।