केवल सुभद्रा ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण की और भी थीं बहनें


 


माना जाता है कि श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के प्रति काफी स्नेह रखते थे। हालांकि, सिर्फ सुभद्रा ही भगवान कृष्ण की बहन नहीं थीं, इसके अतिरिक्त उनकी तीन और बहनें भी थीं। श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव जी की दूसरी पत्नी थीं रोहिणी, सुभद्रा इन्हीं के पुत्री थीं। देवी सुभद्रा और बलरामजी दोनों देवी रोहिणी की ही संतान थे। वासुदेव और देवकी जब कारागृह में बंद थे, उस समय रोहिणी ने नंद जी के यहां शरण ली थी। एकांगा यशोदा की बेटी थीं। कहा जाता है कि उन्होंने एकांत ग्रहण किया था, जिस वजह से कहीं भी उनका उल्लेख मुश्किल से मिलता है। एकांगा को यादवों की कुल देवी भी माना जाता है। इन्हें योगमाया भी कहा जाता है।
द्रौपदी श्रीकृष्ण की सखी भी और बहन भी
श्रीकृष्ण और द्रौपदी के बीच यूं तो किसी भी तरह से परिवार का रिश्ता नहीं था, फिर भी दोनों का रिश्ते में भाई-बहन जैसा असीम स्नेह था। महाभारत के अनुसार, शिशुपाल के वध के बाद जब श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहा था, तो द्रौपदी ने अपना आंचल फाडक़र श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया था, जिस पर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बहन मानते हुए इसका ऋण चुकाने का वचन दिया था। महाभारत में कई जगह श्रीकृष्ण और द्रौपदी को सखा और सखी के रूप में बताया गया है।
यशोदा के गर्भ से जन्मीं महामाया
माता सती ने यशोदा के गर्भ से महामाया के रूप में जन्म लिया था। वासुदेव जब श्रीकृष्ण को यशोदा के पास छोडऩे गए तो लौटते हुए उनकी बेटी को साथ ले आए। कोठरी में जब कंस ने महामाया को मारने का प्रयास किया तो वह उसके हाथ से छूट गईं। आकाश की ओर जाते हुए महामाया ने माता का रूप लिया और भविष्यवाणी की कि कंस को मारनेवाला जन्म ले चुका है।