हनुमान जी की छाती से निरंतर निकलता रहता है पवित्र जल


हनुमान जी के मंदिरों की बात की जाए तो उनके मंदिरों में कई रहस्य और चमत्कार छिपे हुए हैं। हनुमान जी के इन्हीं मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह मंदिर मेहंदीपुर बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में स्थापित मेंहदीपुर बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छेद है, जिससे लगातार पवित्र जल निकलता है। लोगों की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की यह बालाजी का पसीना है। यहां बालाजी के साथ-साथ प्रेतराज और भैरो महाराज भी विराजमान है। भैरो जी को कप्तान कहा जाता है।
मंदिर का नजारा पहली बार जाने वाले व्यक्ति के लिए बहुत ही भयानक होता है, क्योंकि यहां लोगों के ऊपर काली छाया और प्रेत बाधा का साया दूर करने के लिए लाया जाता है। मंदिर के प्रांगण में पहुंचते ही व्यक्ति के अंदर की बुरी शक्तियां जैसे भूत, प्रेत, पिशाच कांपने लगते हैं। यहां प्रेतात्मा को शरीर से मुक्त करने के लिए उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाता है।



मंदिर का प्रसाद नहीं ले जा सकते घर
बालाजी मंदिर की खासियत है कि यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि बालाजी के प्रसाद के दो लड्डू खाते ही भूत-प्रेत से पीडि़त व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत छटपटाने लगता है और अजब-गजब हरकते करने लगता है। यहां पर चढऩे वाले प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी कहते हैं। मंदिर में दर्खावस्त का प्रसाद लगने के बाद वहां से तुरंत निकलना होता है। जबकि अर्जी का प्रसाद लेते समय उसे पीछे की ओर फेंकना होता है। इस प्रक्रिया में प्रसाद फेंकते समय पीछे की ओर नहीं देखना चाहिए। आमतौर पर मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद लोग प्रसाद लेकर घर आते हैं लेकिन मेंहदीपुर बालाजी मंदिर से मेहंदीपुर में चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं। इसे घर पर ले जाने का निषेध है। खासतौर से जो लोग प्रेतबाधा से परेशान हैं, उन्हें और उनके परिजनों को कोई भी मीठी चीज और प्रसाद आदि साथ लेकर नहीं जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सुगंधित वस्तुएं और मिठाई आदि नकारात्मक शक्तियों को अधिक आकर्षित करती हैं। इसलिए इनके संबंध में स्थान और समय आदि का निर्देश दिया गया है। मेंहदीपुर बाला जी के दर्शन करने वालों के लिए कुछ कड़े नियम होते हैं। यहां आने से कम से कम एक सप्ताह पहले लहसुन, प्याज, अण्डा, मांस, शराब का सेवन बंद करना होता है। इसके अलावा जब भी बालाजी धाम जाएं तो सुबह और शाम की आरती में शामिल होकर आरती के छीटें लेने चाहिए। यह रोग मुक्ति एवं ऊपरी चक्कर से रक्षा करने वाला होता है।