चप्पल नहीं राक्षस के नाम से प्रसिद्ध हुआ कोल्हापुर

कोल्हापुर पर्यटकों के बीच महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुरी चप्पलों के लिए जाना जाता है लेकिन ऐतिहासिक किलों और महलों वाला यह शहर हमारे लिए राष्ट्रीय गर्व है। बताया जाता है कि इस शहर का नाम कोल्हापुर एक राक्षस कोलासुर के नाम पर पड़ा, जिसका वध देवी महालक्ष्मी ने किया था। आध्यात्मिक तौर पर माना जाता है कि कोल्हापुर को भगवान विष्णु ने अपना निजी निवास स्थान माना था। इस जगह को 'दक्षिण काशी' भी कहा जाता है। कोल्हापुर में पर्यटकों के घूमने के लिए जो दर्शनीय स्थल हैं, उनमें शाहू म्यूजियम, कुशबाग मैदान, रणकला चौपाटी, झील का किनारा आदि मुख्य हैं।




महाराष्ट्र राज्य में स्थित कोल्हापुर शहर एक धार्मिक स्थल है, जहां प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। कई सौ साल पहले अस्तित्व में आया यह क्षेत्र सह्याद्रि पर्वत श्रेणियों के पास ही स्थित है। इस क्षेत्र को कोल्हापुर बनाने का श्रेय छत्रपति ताराबाई को जाता है। ताराबाई के बाद कोल्हापुर की देखभाल और सत्ता छत्रपति शाहू जी महाराज के हाथों में आ गई थी। उन्होंने इस इलाके में सामाजिक और शैक्षिक विकास किए। कोल्हापुर का हर स्थल ऐतिहासिक महत्व रखता है। यहां का शाहू म्यूजियम भी काफी पुराना है। कोल्हापुर के कुशबाग मैदान में कुश्ती का अभ्यास किया जाता है। प्रकृति प्रेमी यहां स्थित झीलों के किनारे आकर अच्छा समय बिता सकते हैं। यहां की रणकला चौपाटी बहुत काल्पनिक जगह है, यहां बच्चों को बहुत अच्छा लगता है। आप कोल्हापुर आए हैं तो यहां की मिसाल मानी जाने वाली चप्पलों को खरीदना न भूलें। पर्यटक यहां आकर ढेर सारी शॉपिंग कर सकते हैं। कोल्हापुर में चमड़े का सामान काफी अच्छा मिलता है। खाने के मामले में यहां का तामड़ा रसा बहुत खास है, यहां कई प्रकार के भोजन मिलते हैं। कोल्हापुरी मसालेदार भोजन का स्वाद यहां चखा जा सकता है। कोल्हापुर के बारे में एक और खास बात है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। यहां पर ही भारत की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनाई गई थी। पन्हाला किला-पन्हाला किला कोल्हापुर-रत्नगिरी मार्ग पर स्थित है तथा 7 किमी क्षेत्र में फैला है। सांपों जैसी बनावट के कारण इसे सांपों का किला भी कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले से छत्रपति शिवाजी महाराज की यादें जुड़ी हुई हैं। यह किला पवन खंड की लड़ाई, मराठा राजा, सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और मुगल सम्राट, आदिल शाह के सिद्दी मसूद के बीच हुई लड़ाइयों के लिए प्रख्यात है। इस किले में महाकाली, अंबाबाई, सोमेश्वर और संभाजी द्वितीय के मंदिर हैं। मसाई पठार- कोल्हापुर से करीब 28 किमी दूर मसाई पठार पन्हाला किले के पीछे स्थित है। कोल्हापुर से मसाई पठार तक पहुंचने में एक घंटा लगता है। यह ट्रैकर्स के बीच में काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह पश्चिमी सह्याद्रि श्रेणी की लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है। यह एक पहाड़ी पर स्थित एक विस्तृत चरागाह तथा पक्षियों की कई प्रजातियों का घर है।