अंत्येष्टि अब ‘गोकाष्ठ’ से, गोबर से बनी लकडिय़ां बचाएंगी हर अंतिम संस्कार में तीन क्विंटल लकड़ी

इंदौर। मुक्तिधामों में बड़ी मात्रा में लकडिय़ों का उपयोग होता है, लेकिन अब जल्द ही इनमें गोबर से बनी लकड़ी (गोकाष्ठ) का उपयोग होगा। एक अंत्येष्टि में करीब तीन क्विंटल लकड़ी लगती। इस पहल से लकड़ी तो बचेगी ही, पेड़ भी नहीं कटेंगे।



जिला प्रशासन और शहर की एक संस्था ने गोबर की लकड़ी बनाने की योजना तैयार की है। इस गो काष्ठ से मुक्तिधामों में अंतिम क्रिया होगी। इसके लिए मप्र शासन हर जिले को गोशालाएं बनवाने की जिम्मेदारी दी है। जिले में 20 से अधिक गोशालाएं बनाई जाएंगी, जिनमें से दो का काम अंतिम चरण में है। यहां गायों के गोबर से गोकाष्ठ बनाई जाएगी। फिर इन्हें मुक्तिधामों में रखवाया जाएगा। जिले में हर महीने अंतिम संस्कार के लिए करीब 1500 क्विंटल लकड़ी की खपत होती है। प्रशासन ने अहिल्यामाता गोशाला संस्था केसरबाग रोड के साथ इस संबंध में बैठक भी की। गोशाला के मंडल अध्यक्ष रवि सेठी ने बताया गो काष्ठ बनाने के लिए संस्था ने 50 हजार की एक मशीन ली है। इसमें गोबर डालते ही गो काष्ठ बनकर बाहर आ जाती है। फिर इसे फिर धूप में सुखाया जाता है। अभी यह प्रयोग की स्थिति में है और इसकी गुणवत्ता बढ़ाने पर काम हो रहा है। इसकी गुणवत्ता ऐसी रहेगी कि इसे लकड़ी की तरह उठाकर लाया-ले जाया जा सके।