20 लाख से 3 करोड़ रुपए तक कैसे पहुंचा तेलंगाना मामला!

> रुद्रपुर मीटिंग के बाद तिकड़मबाजों ने कैसे किया रुपए में गोलमाल
> महाराष्ट्र के लीडर प्रवीण कदम द्वारा एकत्र किया गया रुपया कहां गया?



जगदीश जोशी 'प्रचण्ड'
इंदौर। फ्यूचर मेकर लाइफ केयर सीएमडी को उस समय गिरफ्तार किया गया, जब कंपनी अपने डिस्ट्रीब्यूटरों को लगातार पे-आउट और प्रोडक्ट समय पर बांट रही थी। किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर की शिकायत नहीं थी, बावजूद फेडरेशन ऑफ डॉयरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन और दिल्ली, हिसार में बैठे कुछ तिकड़मबाजों के प्लान के चलते 7 सितंबर, 18 को राधेश्याम की गिरफ्तारी की गई। पीडी एक्ट के मामले में क्लीनचिट को लेकर कार्रवाई में लेटलतीफी के चलते इन तिकड़मबाजों की टीम राधेश्याम को बाहर लाने के बजाए 'रुपया ऐंठने' का प्लान तैयार करती रही। मैदानी लोग डिस्ट्रीब्यूटरों को समझाते रहे, लेकिन दोगली टीम ने राधेश्याम के भगवान होने का फायदा उठाते हुए लोगों को भ्रमित किया। गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र के लीडर प्रवीण कदम द्वारा इक_ा किया गया रुपया कहां गया? राधेश्याम के बहुत नजदीकी एक शख्स ने 23 सितंबर, 18 के बाद तेलंगाना कार्रवाई से दूरी क्यों बना ली। 19 लाख 80 हजार रुपए के भुगतान के बाद पत्रकार जोशी को क्यों अनभिज्ञ रखा गया। पंजाब के एक दिग्गज डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से 'तेलंगाना में सेटिंग' के नाम पर कितने करोड़ रुपए स्वाहा किए गए?, राधेश्याम से मुलाकात का सिलसिला क्यों बंद करवाया गया?, नैनीताल की मीटिंग में डिस्ट्रीब्यूटरों से वायदा कर 17 सौ 70 रुपए लेने की नौटंकी के बाद अचानक कंपनी क्यों बंद की गई?, किसके इशारे पर की गई?, 13 लाख, 50 हजार में कौन सा डोमिंग, किस कंपनी के लिए खरीदा गया?, आई एम फ्यूचर में आने वाला पैसा किधर गया? ऐसे तमाम सवालों का जवाब तलाशती जगदीश जोशी की खोजी खबर...


 


2011 से 2015 तक चिटफंड कंपनियों से धोखा खाए लाखों लोग रोड पर आ गए हैं। ऐसे समय में फ्यूचर मेकर लाइफ केयर ने अपना काम शुरू करते हुए पूरी ईमानदारी के साथ पे-आउट और प्रोडक्ट देना शुरू किया। समय बीतता रहा और आर्थिक उन्नति की परिभाषा को नए तरीके से गढ़ते हुए राधेश्याम कब लोगों के लिए भगवान बन बैठा यह सब राधेश्याम को भी मालूम नहीं पड़ा। कंपनी की शुरुआती दौर में अपनी मारूती-100 बेचकर पे-आउट की व्यवस्था कर लोगों को रुपए देने वाला राधेश्याम जैसे ही भगवान बना, वैसे ही उसके इर्द-गिर्द के लोगों ने शैतानी चालें चलना शुरू कर दीं या यूं कह लें कि राधेश्याम की प्रसिद्धी के बढ़ते ग्राफ ने उसे इन शैतानों की चालों का शिकार बनाते हुए जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। गिरफ्तारी से छह माह पूर्व फ्यूचर मेकर पर भीलवाड़ा के केस से राधेश्याम को उलझाने और डिस्ट्रीब्यूटरों की जमा राशि को हड़पने की साजिश रची जा चुकी थी। बढ़ते षड्यंत्र को लेकर पत्रकार श्री जोशी ने डिस्ट्रीब्यूटरों के हित में राधेश्याम से मुलाकात करते हुए उन्हें सावधान रहने की सलाह दी थी, लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप राधेश्याम ने उन्हीं लोगों पर भरोसा किया, जो लोग साजिश के सूत्रधार थे और राधेश्याम की गिरफ्तारी के बाद भी इन्हीं सूत्रधारों के शार्गिदों ने तेलंगाना में भी मोर्चा संभाला। जब-जब न्यायालयीन कार्रवाई में किसी बाहरी व्यक्ति ने हस्तक्षेप करना चाहा तो उस पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर उलझा दिया गया। कुछ लोगों को किनारा करने के साथ-साथ झूठी जानकारी देकर डिस्ट्रीब्यूटरों को मोटिवेट करने का काम भी दिया गया। 



इधर तेलंगाना की कार्रवाई के बाद 30 सितंबर तक उम्मीद बंधी थी कि राधेश्याम की जमानत हो जाएगी, लेकिन एक जमानत के बाद तिकड़मबाजों ने 20 लाख के मामले को तीन करोड़ तक किस हिसाब से पहुंचाया कि मामला उलझ कर रह गया और जमानत की कार्रवाई को अंजाम देने में लगे मैदानी लोग प्रभावी लोगों से दूर होते चले गए। जानकारी का अभाव होने के कारण राधेश्याम एक के बाद एक मामले मेें उलझता हुआ पीडी एक्ट के दायरे में आ गए। पीडी एक्ट तक पहुंचाने के पीछे इस तिकड़मबाजी टीम का बहुत बड़ा हाथ है। आश्चर्य इस बात का भी है कि इन तिकड़मियों ने बड़ी योजना के साथ पूरा काम अपने हाथ में लिया। डिस्ट्रीब्यूटरों से कोसो दूर कोई वास्ता न रखने वाले इन कथित राधेश्याम प्रेमियों ने हर समय न्यायालयीन कार्रवाई उस तरह करी, जिससे कि राधेश्याम बाहर न आ सकें और डिस्ट्रीब्यूटर उम्मीद लगाकर रखे कि आज नहीं तो कल इस तारीख पर नहीं तो उस तारीख पर कुछ अच्छा हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और मामला और अधिक उलझ कर रह गया। नैनीताल मीटिंग से पहले 13 मई, 19 को पत्रकार जोशी ने राधेश्याम के कहने पर हिसार जेल में उनसे मुलाकात की थी। तब राधेश्याम ने कहा था कि मुझे बाहर आकर पैसा देना है और इसी को ध्यान मे रखते हुए उत्तराखंड के काशीपुर से आगे रुद्रपुर में मीटिंग आयोजित की गई। इस मीटिंग में सबसे आगे प्रदीप, राजेश, विकास सहित और भी लोग शामिल थे, तब यह उम्मीद जागी थी कि राधेश्याम के इशारे पर आने वाला रुपया पीडि़त व परेशान लोगों में बंट जाएगा, तो एक इतिहास होगा, लेकिन रुद्रपुर के रिसॉर्ट में बने एक कॉटेज में दो दिन की मीटिंग के दौरान एक खेल फिर खेला गया और वह था 450 करोड़ रुपए का गोलमाल किस तरह किया जाए? मीटिंग के दौरान बहुत सी बातें हुईं, कई संकल्प लिए गए, डिस्ट्रीब्यूटरों को लेकर चिंता जताई गई, राधेश्याम के भाई रामसिंह भावुक भी हुए। भावुकता में बहते आंसु से उपस्थित डिस्ट्रीब्यूटर और मैदानी लोग भी भावुक हो गए, लेकिन इस चाण्डाल चौकड़ी की साजिश परवान चढ़ रही थी। रुद्रपुर में हुई समस्त गतिवधियों के साक्ष्य प्रमाणित तौर पर मौजूद हैं। रुद्रपुर से लौटने के बाद आईएम फ्यूचर के प्लेटफॉर्म पर अरशद खान को आगे खड़ा किया गया और तिकड़मबाज पीछे से अपनी कहानी की स्क्रिप्ट के पात्र (कलाकार) को बदलते रहे। इन कलाकारों में पूरी मुस्तैदी और ईमानदारी से काम करने वाले कुछ महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश के प्रमुख लोग थे। जिन्हें यह बताया गया कि अब डिस्ट्रीब्यूटरों के लिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है। आप लोग वाट्स-एप और समाचारों से संपर्क बनाए रखिए, जल्द ही पांच कंपनियों में आया पैसा वितरित किया जाएगा। 
13 करोड़ रुपए प्रति सप्ताह बांटने की योजना बनाते हुए आईएम फ्यूचर के 17 सौ 70 रुपए के प्लान को बाजार में डिस्ट्रीब्यूटरों तक पहुंचाया गया। इस कहानी का सबसे खतरनाक मोड़ तब आया, जब यह कहा गया कि आईएम फ्यूचर के एकाउंट पर भी रोक लग गई है, जबकि लालकिले से रवानगी और रुद्रपुर से वापस आने तक राधेश्याम द्वारा डिस्ट्रीब्यूटरों के लिए काफी कुछ बंदोबस्त हो चुका था। हरियाणी स्वांग के संचालक और मोटिवेटर सुनील आर्य की जयपुर के लीडरों से बातचीत का वायरल वीडियो इस बात का प्रमाण है क एक बार फिर राधेश्याम के साथ धोखा हुआ है। 


शेष अगले अंक में... 
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