संकट तभी कटेंगे जब मार्ग होगा सत्य-अहिंसा वरना यों ही रटते रहिए हनुमान चालीसा!

धर्म और आस्था के गलियारों में एक धारणा है- रोज हनुमान चालीसा पढ़ोगे तो तुम्हारे सारे संकट कट जाएंगे। यह बात सौ टका सच भी है। लेकिन इसके साथ यह जरूर जोड़ लें कि जीवन में सत्य संकल्प के बिना हनुमानजी कभी कोई संकट नहीं काटने वाले। सच तो यही है- संकट तभी कटेंगे जब मार्ग होगा सत्य-अहिंसा। वरना यों ही रटते रहिए हनुमान चालीसा! यथार्थ में मानव जीवन संकटों से भरा है और उन संकटों व दुखों का कारण मनुष्य के अंदर व्याप्त मोह है। कहा भी गया है- मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। यानी मोह ही मानव जीवन में आने वाली व्याधियों व संकटों का मूल कारण है। इसी मोह के वशीभूत मनुष्य सांसारिक वस्तुओं की आकांक्षा करता है। इसी से लोभ पनपता है। लोभ से उत्पन्न लाभ लालसा में असत्य का सहारा लेता है और कई बार तो अपनी वांछना पूर्ति के लिए हिंसक बन जाता है और हिंसक वृत्ति से संकट आते ही आते हैं। अब ऐसे असत्यवादी, कामी, क्रोधी, लोभी और हिंसक लोग हनुमानजी का नाम जपेंगे तो क्या उनके संकट कटने वाले हैं। नहीं! कभी नहीं! बल्कि ऐसे लोगों पर तो हनुमानजी उल्टे रुष्ट ही हो सकते हैं। इसलिए जो भी साधक लोगों को उनके संकटों से छुटकारा करवाने के लिए श्रीहनुमान चालीसा के नित्य पाठ के लिए प्रेरित करते हैं उन्हें यह भी सलाह दें कि श्रीहनुमान चालीसा का पाठ तभी लाभदायी होगा जब व्यक्ति सत्य और अहिंसा का पहले संकल्प लेगा। लेकिन विडम्बना यह है कि कुछ ऐसे तथाकथित हनुमान साधक भी इस धरा धाम पर विचरण कर रहे हैं। सद्मार्ग पर न तो स्वयं हैं और न अपने चाहने वालों को चलने देते। यह तो सत्य है कि हनुमान चालीसा की एक ही चौपाई से जीवन संकट मुक्त और आनंद से युक्त हो सकता है लेकिन हनुमान भक्तों को सलाह यही है कि जीवन में पहले अपनाओ सत्य अहिंसा-फिर नित्य पढ़ो हनुमान चालीसा! तो फिर तुम्हारा जीवन कल्याण सुनिश्चित है।