देहरादहून. उत्तराखंड ने कल सुबह सात साल बाद तबाही का मंजर देखा। करीब साढ़े दसे बजे राज्य के चमोली जिला के तपोवन में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा। इससे बेतहाशा बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई और धौलीगंगा पर बन रहा बांध बह गया। तपोवन में एक प्राइवेट पावर कंपनी के अधिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और सरकारी कंपनी एनटीपीसी के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था। आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान यहीं हुआ। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम कर रहे 15 से 20 मजदूर लापता बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही एनटीपीसी प्रोजेक्ट पर करीब 150 मजदूरों की जान जाने की आशंका है। इसके अलावा एनटीपीसी प्रोजेक्ट के आसपास छह चरवाहों और 23 महिलाओं के बहने की भी सूचना है। प्रोजेक्ट साइट से नौ शव बरामद हुए हैं। इसी बीच, मौके पर रेस्क्यू के लिए पहुंची एनडीआरफ की टीम ने तपोवन प्रोजेक्ट के पास टाल में फंसे सभी 16 लोगों को निकाल लिया है। केंद्र ने भी राहत के लिए सीआरपीएफ के 200 जवान हेलिकाप्टर के जरिए प्रभावित स्थलों पर पहुंचाए हैं। राहत की बात यह है कि पीपल कोटी से चमोली के बीच में अलकनंदा नदी का जलस्तर तो बढ़ा है, लेकिन नदी का क्षेत्र चौड़ा होने से बहाव सामान्य हो गया है। हादसे के बाद एनडीआरएफ और एडीआईआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच कर बचाव कार्य कर रही हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस घटना के बाद टिहरी बांध से पानी रोक दिया गया है, जबकि श्रीनगर बांध परियोजना से पानी पूरी तरह छोड़ दिया गया है और सभी गेट खोल दिए गए हैं, ताकि पहाड़ों से आ रहा पानी बांध को क्षति न पहुंचा सके। मुख्यमंत्री ने बताया कि अलकनंदा नदी के मार्ग से सभी परियोजनाएं, जिसमें रेल के कार्य के अलावा चार धाम सड़क मार्ग पर योजना के कार्य भी रोक दिए गए हैं। इसके अलावा गंगा नदी में राफ्टिंग को भी रोक दिया गया है।
भारत-चीन को जोडने वाला ब्रिज भी बह गया
ऋषिगंगा नदी के किनारे स्थित रैणी गांव में ऋषिगंगा पावर प्रोजेट पड़ता है। यह प्रोजेट पूरी तरह तबाह हो गया है। यहां से करीब 1520 मजदूर लापता हैं। यहीं पर जोशीमठ मलारिया हाईवे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया भारत-चीन को जोडऩे वाला ब्रिज भी बह गया। यह ब्रिज एकमात्र जरिया था, जिससे हमारे सैनिक चीन बॉर्डर पर पहुंचते थे। यहीं पर छह चरवाहे और उनके मवेशी पानी में बह गए। यहां रेस्क्यू टीमें पहुंच चुकी हैं। ऋषिगंगा का पानी जहां धौलीगंगा से मिलता है, वहां भी जल स्तर बढ़ गया। पानी एनटीपीसी प्रोजेट में घुस गया। इस वजह से गांव को जोडऩे वाले दो झूला ब्रिज बह गए। एनटीपीसी प्रोजेट में काम करने वाले करीब 150 मजदूरों की जान जाने की आशंका है।
मलबे में दबे हैं सैकड़ों शव
उत्तराखंड के चमोली में कल ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हो गया। अब तक के राहत और बचाव कार्य के दौरान चमोली जिला पुलिस ने 19 शव मिलने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि अभी भी 20३ से अधिक लोग लापता हैं। रात में भी बचाव कार्य जारी रहा। नुकसान का आकलन जारी है। सुबह तड़के चार बजे से एक बार फिर बचाव कार्य शुरू हो गया है। सुरंगों के पास से मलबा हटाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इनमें काफी लोग दबे हुए हैं।
जो सामने पड़ा, उसे लील लिया
चमोली के तपोवन इलाके में सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया। इससे नदी का जल स्तर बढ़ गया। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है, इसीलिए उसका जल स्तर भी बढ़ गया। नदियों के किनारे बसे घर बह गए।
मृतकों के परिजनों को छह-छह लाख
उत्तराखंड में आई तबाही के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिवार वालों को चार-चार लाख रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लेशियर के टूटने के बाद हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो-दो लाख रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया है, जबकि गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपए दिए जाएंगे।
24 परियोजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हुई है रोक
उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2005 से 2010 के बीच दो दर्जन से अधिक जलविद्युत परियोजनाओं की मंजूरी दी थी। तीस हजार करोड़ की लागत वाली इन परियोजनाओं के पूरा होने से 2944.80 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। गैर सरकारी संगठनों की ओर से एक-एक कर 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। यह प्रकरण एनजीटी भी पहुंचा हुआ है। अदालत के आदेश पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने विशेषज्ञों की 12 सदस्यीय समिति गठित की थी। कई महीने के अध्ययन के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को दे दी थी। मंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अदालत को सौंप दी गई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन 24 परियोजनाओं पर रोक लगा दी थी।