हम भारतवासियों की यह पहचान राम सा चरित्र और रहीम सा ईमान!

जब कोई मुझसे कहता है कि मैं भारतवासी हूं और इस पर मुझे गर्व है तब मैं भी गर्व करता हूं और उनसे यही बात कहता हूं- हम भारतवासियों की यह पहचान। राम सा चरित्र और रहीम सा ईमान! वास्तव में भारत एक महान देश है जिसमें ऐसे महामानव निवास करते हैं जो चरित्र और ईमान के लिए अपने जीवन की भी परवाह नहीं करते। होगा दुनिया के लोगों के लिए सोनाचांदी हीरे-जवाहरात का महत्व। इन्हें मानते होंगे बड़ी संपदा, लेकिन भारतवासियों के लिये तो आज भी चरित्र ही सबसे मूल्यवान वस्त है। ईमान अर्थात सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है। ये अच्छी बात है कि कोई स्वयं को हिंदू बताता है तो कोई मुसलमान, कोई सिख है तो कोई ईसाई, लेकिन यह भी समझ लो कि इन सभी धर्मों के मूल में चरित्र और ईमान ही है भाई! कोई भले कितना ही कहे स्वयं को धर्मालु, लेकिन वह तभी तक अपने निहित धर्म पथ पर है, जब तक कि उसके व्यवहार में चरित्र और हृदय में ईमान है। जो अन्याय के विरुद्ध न्याय का धारा में बहता है। जो अपने सत्य धर्म के लिए प्राण न्योछावर करता है। इसके विपरात वो व्यक्ति किसी धर्म का नहा हा सकता जो झूठा है, चरित्रहीन है, हिंसक कायर और क्रूर है। ये पहले धर्म द्रोही हैं फिर देशद्रोही। यहां देश और धर्म एक हैं जिनका मूल आधार सत्य हैं। इसीलिए तो कहा गया है राष्ट्रधर्म जो सदा सर्वदा सत्य में प्रतिष्ठित है। यह एक ऐसा देश है जब समूची दुनिया और विशेष तौर से पश्चिमी देश चरित्र और ईमान के अर्थ भूल झूठ, पाखण्ड और असभ्यतापूर्वक अपात्र संसाधनों से धनार्जन कर रहे हैं। धन-सम्पदा और काम वासना में आसक्त हो रहे तब मैं भारत के विशेषकर युवाओं का आह्वान करता हूं कि वे भारत में एक बार फिर राम के चरित्र और रहीम के ईमान की मिसाल पेश करें। राम चरित सत कोटि अपारा...यानी जैसे प्रभ श्रीराम का चरित्र कोटि-कोटि अपरम्पार है वैसा चरित्र बनाएं और रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सन। अर्थात रहीम की तरह पानीदार यानी जिनकी बात में दम है, एक ईमान है ऐसे पानीदार और ईमानदार बनिए।

- महाराज वैभव भटेले 
(धर्म, अध्यात्म एवं राष्ट्रीयता के ओजस्वी वक्ता)