किसानों के उपद्रव में घायल पुलिस के जवानों को देखने पहुंचे अमित शाह, फंडिंग पर नजर


नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसक झड़प में दिल्ली पुलिस के कई जवान घायल हुए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अस्पताल पहुंकर घायल पुलिसकर्मियों का हाल जाना और उनसे बातचीत की। वह सबसे पहले सिविल लाइंस के सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। वहीं इससे एक दिन पहले अमित शाह ने सुरक्षा हालात और शहर में शांति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की थी। गृह मंत्रालय ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा, हंगामे और तोड़-फोड आदि की पृष्ठभूमि में गहमंत्री ने दिल्ली में कानून- व्यवस्था की समीक्षा की थी। बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव अजय भाला और गृह मंत्रालय तथा दिल्ली पलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया था। राष्ट्रीय राजधानी में शांति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में शाह को जानकारी दी गई थी।

हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा : पुलिस

वहीं दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकलने को लेकर किसान संगठनों ने नियम शर्तों का उल्लंघन किया, इस हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों के द्वारा की गई हिंसा में ३94 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ का अस्पताल में इलाज चल रहा है और कुछ पुलिसकर्मी आईसीयू में भी भर्ती हैं। पुलिस ने अब तक 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं।

किसान संगठनों ने वादे को पूरा नहीं किया

पुलिस आयुक्त ने कहा कि किसान संगठनों को गणतंत्र दिवस के दिन रैली को टालने के लिए निरंतर समझाया गया और इसके लिए उनके साथ पांच दौर की बातचीत भी की गई। रैली के लिए कुछ नियम और शर्तों पर सहमति और लिखित आश्वासन देने बाद अनुमति दी गई, लेकिन किसान संगठनों ने अपने वायदे को पूरा नहीं किया। यहां तक की कुछ किसान नेताओं ने शांति बनाकर रैली निकलने की बजाय भड़काऊ भाषण दिये और हिंसा के लिए उकसाया। पुलिस आयुक्त ने कहा कि किसानों की आक्रामकता के बावजूद पुलिस ने अधिकतम संयम का परिचय दिया। 

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने पहरा देकर गुजारी रात

26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से पुलिस प्रशासन किसान आंदोलनकारियों पर काफी सख्ती कर रही है। एक ओर जहां मेरठ के बड़ौत में 40 दिन से चल रहे प्रदर्शन को पुलिस ने बीती रात खत्म कराया, वहीं यूपी गेट पर आंदोलन स्थल की बिजली काट दी गई। बिजली कटने के बाद अंधेरा होने के चलते गिरफ्तारी के डर से किसानों ने खुद रात में जागकर पहरा दिया। दिल्ली में 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा में ३00 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने एनएच-24 पर दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाला रास्ता खुलवाया। इसके बाद इस रूट पर ट्रैफिक सामान्य हो गया है। लाल किले पर 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद यहां की सुरक्षा और बढ़ा दी गई है। लाल किले पर भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं। कल दिल्ली पुलिस द्वारा किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने के बाद रात को यूपी गेट का नजारा कुछ अलग ही दिखाई दिया। रात में 50-60 किसान पूरी रात बारी-बारी से पहरा देते रहे। वहीं किसान नेता और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत व गाजीपुर आंदोलन कमेटी के सदस्य जगतार सिंह बाजवा भी यूपी गेट पर रात भर किसानों के साथ मौजूद रहे।

देश-विदेश से बड़े पैमाने पर फडिंग किए जाने की सूचना

ईडी के वरिष्ठ ने कहा कि लगभग दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन के लिए देश-विदेश से बड़े पैमाने पर फंडिंग किए जाने की सूचना है। आंदोलन सिर्फ किसानों या ग्रामीणों की फंडिंग पर नहीं चल रहा था। समस्या यह थी कि बिना किसी एफआइआर के ईडी इस फंडिंग की जांच नहीं कर सकता था। मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए किसी दूसरी एजेंसी द्वारा एफआईआर दर्ज करना जरूरी होता है।

किसान नेताओं के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी, जब्त हो सकते हैं पासपोर्ट

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के सिलसिले में राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है और उनके खिलाफ दंगा, आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास सहित भादंसं की विभिन्न धाराओं में आरोप लगाया है। दिल्ली के पुलिस प्रमुख एस.एन.श्रीवास्तव द्वारा किसान नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद किसान नेताओं के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है। वहीं पुलिस ने किसान नेताओं को लुक आउट नोटिस जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक जिनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी होगा उनके पासपोर्ट भी जब्त होंगे। पलिस ने लुक आउट नोटिस जारी करते हुए कहा कि किसान नेताओं ने धोखा दिया और वादाखिलाफी की क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

इनके खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर

प्राथमिकी में जिन नेताओं को नामजद किया गया है, उनमें मेधा पाटकर, योगेन्द्र यादव, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश टिकैत, कुलवंत सिंह संधू, सतनाम सिंह पन्नू, जोगिंदर सिंह उग्राहा, सुरजीत सिंह फूल, जगजीत सिंह डालेवाल, बलबीर सिंह राजेवाल और हरिंदर सिंह लाखोवाल शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। प्राथमिकी में भादंसं की कई धाराओं का उल्लेख है जिनमें ३07 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगों के लिए सजा), 353 (किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकना) और 120बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के दौरान पुलिस से पिस्तौल, 10 गोलियां और आंसू गैस के दो गोले लूट लिए। 

कस सकता है मनी  लांड्रिंग का शिकंजा

गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में कोहराम मचाने वाले किसान नेताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग का शिकंजा कस सकता है। दिल्ली पुलिस की एफआईआर के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज करने पर विचार कर रही है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जल्द ही दिल्ली पुलिस से एफआईआर की कॉपी मंगाई जाएगी। इसके पहले एनआइए दीप सिद्धू समेत कई नेताओं को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से फंडिंग के आरोप में नोटिस जारी कर चुका है।