चिटफंड कंपनियों पर प्रशासन का शिकंजा



इंदौर. 
हवाला ट्रांजेक्शन से लेकर पॉजी स्कीम, फेक करंसी, चैक फोर्जरी, डर्क वेब, क्रिप्टो करंसी, डेटा सिक्योरिटी, फ्रॉड रिलेटिड टू प्लास्टिक कॉर्ड, करप्शन, ब्रीबेरी, बैंक फ्रॉड, मोबाइल बैंकिंग एप्लीकेशन के माध्यम से फ्रॉड, डेटा चोरी आदि अपराधों का एसआईटी की टीमों ने सीबीआई, ईडी तथा अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के पैटर्न पर इन्वेस्टिगेशन शुरू कर दिया है। इन अपराधों में अपराधियों तक कैसे पहुंचा जाए और उन्हें दबोचकर लोगों की राशि वापस कराई जाए, इस पर पहूरा फोकस रहेगा। पुलिस ही नहीं सहकारिता विभाग, विभिन्न बैंक, आरबीआई भी इन अपराधों की जांच में मदद करेगी। को-ऑपरेटिव फ्रॉड शाखा के एडीजी राजेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में जोनल स्तर पर लंबित फ्रॉड के मामलों में की जा रही कार्रवाई की मॉनिटरिंग की जा रही है। सभी 11 जोन में लंबित को-ऑपरेटिव फ्रॉड के मामलों की जांच अब जोनल एडीजी-आईजी की मॉनिटरिंग में कराई जा रही है और एडीजी मिश्रा इनकी समीक्षा कर रहे हैं।

इनका कहना है

चिटफंड कंपनियों के खिलाफ प्रदेशस्तरीय अभियान जारी है। एक कंपनी ने निवेशकों के पांच सौ करोड़ रुपए वापस करने के संबंध में जानकारी दी है। जिलों से इसकी तस्दीक कराई जा रही है।

-कैलाश मकवाणा, एडीजी, सीआईडी