कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस का सतना में आज, रीवा में कल किसान सम्मेलन



भोपाल.
कृषि कानून को लेकर मप्र में किसान तो आंदोलन नहीं कर रहे है, लेकिन कांग्रेस ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कांग्रेस किसान सम्मेलन कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के नेतृत्व में आज सतना में किसान सम्मेलन हो रहा है तो कल भिंड जिले के गोहद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह के नेतृत्व में प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही रीवा में कल किसान सम्मेलन होगा। 13 जनवरी को सीधी एवं 14 जनवरी को सिंगरौली जिले में किसानों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ 16 जनवरी को छिन्दवाड़ा में किसान सम्मलेन करेंगे। 20 जनवरी को मध्यप्रदेश के मुरैना में किसान महासम्मलेन होने वाला है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ के निर्देशानुसार कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर धरना प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के तीन काले कृषि कानून का विरोध कर रही है। कांग्रेस द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार 7 2021 से 15 जनवरी 2021 के मध्य जिला एवं ब्लाक कांग्रेस कमेटियों द्वारा एक दिन का धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी चन्द्रप्रभाष शेखर ने बताया कि कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार के तीनों काले कृषि कानूनों को लेकर प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर इन काले कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही है। श्री शेखर ने बताया कि गोहद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह के नेतृत्व में प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह आज सतना में किसान सम्मेलन कर रहे है। उन्होंने किसानों को बताया कि पहला कानून कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य संवर्धन एवं सरलीकरण विधेयक-2020 है। इस काले कानून से न्यूनतम मूल्य समर्थन एमएसपी प्रणाली समाप्त हो जाएगी। किसान यदि मंडियों के बाहर उपज बेचेंगे तो मंडियां खत्म हो जाएंगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य न देना पड़े, न्यूनतम समर्थन मूल्य से अपना पीछा छुड़ाने के समर्थन मूल्य से अपना पीछा छुड़ाने के लिए सरकार यह कानून लाई है। कांग्रेस के प्रयासों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य की जो सुरक्षा किसान को मिलती थी, अब वह सुरक्षा खत्म कर दी जाएगी एवं प्राइवेट उद्योगपति मनमाने या कह लें कि कौडिय़ों के दाम परफसल खरीदेंगे। दसरा कानन कषक सशक्तिकरण व संरक्षण कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 है। इस कानून से कान्ट्रेक्ट करने में किसानों का पक्ष कमजोर होगा, वे कीमत निर्धारित नहीं कर पाएंगे। छोटे किसान कैसे कांट्रेक्ट फार्मिंग करेंगे। विवाद की स्थिति में किसान कोर्ट नहीं जा सकेंगे। यह सीधा संवैधानिक अधिकारों पर आघात है। तीसरा कानून आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक-2020 है। इस कानून से बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का स्टोरेज करेगी। उनकी मनमर्जी चलेगी। इससे कालाबाजारी, जमाखोरी बढ़ेगी और मनमाने दाम पर आवश्यक वस्तुओं को बेचा जा सकेगा। जिस तरीके से स्टाकिंग की वजह से प्याज 80 और दाल के दाम 200 रुपए तक पहुंच जाते हैं, उसी तरीके से आटे की कीमत, गेहंू की कीमत भी सैकड़ों रुपए प्रति किलो में पहुंचा कर ही यह सरकार दम लेगी और उस मूल्य वृद्धि का फायदा किसान को नहीं, बल्कि उद्योगपतियों को मिलेगा। कांग्रेस 13 जनवरी को सीधी एवं 14 मिलेगा। काग्रेस 13 जनवरी को सीधा एव 14 जनवरी को सिंगरौली जिले में किसानों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन होंगे।

कनाडा से हो रही किसान आंदोलन की फंडिंग : जनार्दन मिश्र

हमेशा अपनी बयान बाजी को लेकर सुर्खियों में रहने वाले रीवा से भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा का आज किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें सांसद जनार्दन मिश्रा ने किसान आंदोलन में कनाडा से फंडिंग किए जाने का आरोप लगाया है। वहीं सांसद ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि इस आंदोलन से अपराधियों को समर्थन भी मिल रहा है। केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए कृषि कानून को लेकर विगत कई महीनों से किसान आंदोलनरत है, जिसके लिए किसानों ने दिल्ली सदन तक का घेराव कर डाला है। भाजपा के द्वारा लगातार किसान आंदोलन को देशद्रोही आंदोलन बताया जा रहा है। इस आंदोलन को लेकर रीवा से भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा ने भी अपना अलग ही बयान दिया है। रीवा जिले के त्योंथर तहसील क्षेत्र अंतर्गत एक स्थानीय कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे रीवा भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा ने किसान आंदोलन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि आंदोलन को विदेशों से फंडिंग की जाती है और इसका पूरा पैसा कनाडा से आ रहा है। वहीं सांसद ने कहा कि किसान आंदोलन के द्वारा अपराधियों का समर्थन किया जा रहा है और इस आंदोलन का हर एक प्रारूप खालिस्तानी जैसा दिखाई देता है और जिस आंदोलन में खालिस्तान का झंडा फहराया जा रहा हो उस आंदोलन का समर्थन करना गलत होगा। सांसद इतने में ही नहीं रुके पत्रकार के द्वारा कांग्रेस के समर्थन को लेकर पूछे गए सवाल पर भी अपना अलग ही तर्क दें डाला, उन्होंने कहा कि जो कांग्रेसी सर्जिकल स्ट्राइक और कोरोना वैसीन का विरोध कर सकते हैं वह सरकार के द्वारा लाए गए कानून का समर्थन कैसे करेंगे।