सफलता पर इस कदर मत इतराओ .. कि बरे वक्त के साथियों को ही भल जाओ!

संघर्ष करो। सफलता प्राप्त करो और सम्पन्न बनों। लेकिन इतना ध्यान रखो कि जब तुम सफलता के शिखर पर पहुंचों तब उनको सदा याद रखो जो तुम्हारे संघर्ष में साथ थे। यदि ऐसा करते हो तुम एक नेक इंसान हो। अन्यथा मतलबी सावधान हो जाओ- सफलता पर इस कदर मत इतराओ।...कि बुरे वक्त के साथियों को ही भूल जाओ! वास्तव में जो संघर्ष में साथ देने वालों को भुला देते हैं उनका हाल उन पेड़ों की तरह होता है जो हरे-भरे होने पर मिट्टी से नाता तोडऩे की कोशिश करते हैं। वृक्ष कभी ऐसा नहीं करते, बल्कि पेड़ जितने बड़े होते हैं, हरे-भरे होते हैं और लहलहाते हैं वो अपनी जड़ों को जमीन में उतनी ही गहराई तक ले जाते हैं। इसलिए जमीन से जुड़े रहने अर्थात संघर्ष के साथियों के साथ रहने का सबक पेड़-पौधों और वृक्षों से सीखो। वास्तव में किसी वृक्ष की ऊंचाई और विस्तार का रहस्य बीच यही है कि जिसकी जड़ें जितनी गहराई में उनके होती हैं वो उतना ही हरा-भरा और विशाल होता है। मानव जीवन में भी सफलता का यही लिए रहस्य है कि जो व्यक्ति सफल व सम्पन्न सफल होकर भी अपनों को नहीं भूलता वो एक-न-एक दिन सफलता के शिखर पर पहुंचता है। फिर चाहे कोई उसके विरुद्ध कोई कितने ही रोड़े अटकाए लेकिन उसे मंजिल तक पहुंचाने से कोई रोक नहीं पाता। 

क्योंकि उसके साथ संघर्ष के साथी साधारणजन का जो सहयोग रहता है। व्यक्ति ऊंचा बनकर अर्थात बड़ा ओहदा पाकर भी किस तरह सहज-सरल व सुलभ उपलब्ध रह सकता है इसकी प्रेरणा भगवान श्रीकृष्ण से ली जा सकती है जो साक्षात परमात्मा होकर भी बृज के गोप-ग्वालों के बीच इस कदर घुल-मिलकर रहते हैं जैसे कहीं उनके ही घर-परिवार के ही सदस्य हों। भगवान की यही मिलनसारिता समुचे बुजवासियों के लिए संरक्षण व शक्ति प्रदान करती है। इसलिए सफल व सम्पन्न होकर आप भी अपनों के साथ रहिए।