चिटफंड कंपनियों पर कसा प्रशासन का शिकंजा

भोपाल. लोगों को झांसा देकर उनकी गाढ़ी कमाई हड़पने वाली चिटफंड कंपनियों पर पुलिस प्रशासन का लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर चलाए अभियान के बाद लोगों के साठ करोड़ से ज्यादा राशि वापस की जा चुकी है। सहारा इन्वेस्टमेंट कंपनी ने निवेशकों के पांच सौ करोड़ रुपए वापस करने के संबंध में पीएचक्यू को पत्र लिखकर जानकारी दी है। इसकी जिलों से तस्दीक कराई जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस तथा राजस्व विभागों की टीमें जिलों में शिविर आयोजित कर ठगी के शिकार हुए लोगों की शिकायतें सुनकर उनका निराकरण कर रह है। साथ ही प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जो कंपनी निवेशकों की राशि वापस कर रही हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही नहीं की जा रही है। जो कंपनी फरार हो गई हैं, उनके कर्ताधर्ताओं की तलाश जारी है। उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किए जा रहे हैं। अभी तक विभिन्न कंपनियों से निवेशकों के साठ करोड़ रुपए वापस कराए गए हैं। सबसे ज्यादा सीधी जिला प्रशासन ने 29 करोड़ रुपए वापस कराए हैं। इनके अलावा नीमच, रतलाम, मंदसौर में बड़ी राशि वापस कराई गई है। रियल एस्टेट, बैंक, सहकारी बैंक, चिटफंड कंपनी, माइक्रो फाइनेंस कंपनी, एनजीओ, ऑनलाइन ट्रेड के वित्तीय अपराधों के अनुसंधान के लिए पीएचक्यू की को-ऑपरेटिव फ्रॉड शाखा ने 22 एक्सपर्ट पुलिस अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है। सीबीआई अकादमी से ट्रेंड होकर आए ये अफसर अब संभागीय स्तर पर ऑनलाइन ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनके अफसरों के नेतृत्व में प्रदेश में लंबित 400 वित्तीय अपराधों की नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। उन्हें इन प्रकरणों के शीघ्र खुलासे के साथ ही आरोपियों की शीघ्र धरपकड़ करने के निर्देश दिए गए हैं। इन मामलों में मप्र से लेकर दूसरे राज्यों तक फास्ट एंड हार्ड एक्शन शुरू कर दिया गया है। एमपी पुलिस के 22 अफसर सीबीआई के गाजियाबाद स्थित इंस्टीटयट से ट्रेनिंग पूरी करके आए हैं। इनमें 4 आईपीएस, 14 एएसपी तथा 4 डीएसपी शामिल हैं। को-ऑपरेरिव फ्रॉड शाखा ने भोपाल, इंदौर, छिंदवाडा. ग्वालियर, सतना, राजगढ. मरैना. उज्जैन आदि जिलों में एएसपी रैंक के अफसर के नेतत्व में एसआईटी गठित कर इन्हें जालसाजों की धरपकड़ में लगा दिया है।

अन्य विभागों से ली जा रही मदद

हवाला ट्रांजेशन से लेकर पोंजी स्कीम, फेक करंसी, चैक फोर्जरी, डर्क वेब, क्रिप्टो करंसी, डेटा सियोरिटी, फ्रॉड रिलेटिड टू प्लास्टिक कॉर्ड, करप्शन, ब्रीबेरी, बैंक फ्रॉड, मोबाइल बैकिंग एप्लीकेशन के माध्यम से फ्रॉड, डेटा चोरी आदि अपराधों का एसआईटी की टीमों ने सीबीआई, ईडी तथा अन्य केन्द्रीय जांच एजेंसियों के पैटर्न पर इन्वेस्टिगेशन शुरू कर दिया है। इन अपराधों में अपराधियों तक कैसे पहुंचा जाए और उन्हें दबोचकर लोगों की राशि वापस कराए जाए, इस पर पूरा फोकस रहेगा। पुलिस ही नहीं सहकारिता विभाग, विभिन्न बैंक, आरबीआई भी इन अपराधों की जांच में मदद करेगी। को-ऑपरेटिव फ्रॉड शाखा के एडीजी राजेन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में जोनल स्तर पर लंबित फ्रॉड के मामलों में की जा रही कार्रवाई की मॉनिटरिंग की जा रही है। सभी 11 जोन में लंबित को-ऑपरेटिव फ्रॉड के मामलों की जांच अब जोनल एडीजी- आईजी की मॉनिटरिंग में कराई जा रही है और एडीजी मिश्रा इनकी समीक्षा कर रहे हैं। इनका कहना है चिटफंड कंपनियों के खिलाफ प्रदेशस्तरीय अभियान जारी है। एक कंपनी ने निवेशकों के पांच सौ करोड़ रुपए वापस करने के संबंध में जानकारी दी है। जिलों से इसकी तस्दीक कराई जा रही है। 

- कैलाश मकवाणा, एडीजी, सीआईडी