राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में शराब की सुनामी



भोपाल. मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति और नई शराब की दुकानें खोले जाने को लेकर सियासत अपने उफान पर है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के अलग-अलग बयानों के बाद जहां भाजपा की राजनीति गरमा गई है, वहीं उमा भारती और कमल नाथ के बयानों से भी नया बवाल मचा हुआ है। राजनीतिक उठापटक के बीच प्रशासनिक अमला अपनी रोटियां सेंकने में लग गया है। 20 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कहा था कि अभी नई शराब की दुकानें खोलने का कोई निर्णय नहीं हुआ है। 21 जनवरी की सुबह गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने बयान पर कायम रहते हुए फिर दोहराया था कि नई दुकानें खुलना ही चाहिए। इस बीच उमा भारती के ट्वीट कि प्रदेश में शराबबंदी और कमल नाथ के बयान कि शिवराज सरकार शराब प्रेमी है, से राजनीतिक जंग के बीच प्रशासनिक आदेश ने मध्यप्रदेश में अफरा-तफरी मचा दी है। मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान कि अभी नई शराब की दुकानें खोलने का निर्णय नहीं हुआ है के चंद घंटे बाद ही कार्यालय आबकारी आयुक्त मोतीमहल ग्वालियर ने सभी कलेक्टरों को चिट्ठी लिखकर नवीन मदिरा दुकानें खोलने के प्रस्ताव भेजने को कहा है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन के उच्च पद पर बैठे अधिकारी के मौखिक आदेश पर आनन-फानन में आबकारी आयुक्त ने उक्त आदेश जारी किया है। आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि दो दिन के अंदर सभी जिले में नई दुकानें खोलने का प्रस्ताव आबकारी आयुक्त कार्यालय भेज दें। पत्र में यह भी लिखा है कि वर्तमान मदिरा दुकानों की संख्या में कम से कम 20 प्रतिशत की वृद्धि का ही प्रस्ताव भेजें, यानि कि जिस जिले में 100 दुकानें हैं वहां कम से कम 120 दुकानें प्रस्तावित की जाएं और यदि संभव हो तो और अधिक दुकानों का भी प्रस्ताव भेजा जाए। पत्र में यह भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि 2011 की जनगणना के अनुसार 5000 से अधिक आबादी वाले गांवों में नई दुकान खोलना अनिवार्य रूप से प्रस्तावित किया जाए। वहीं नगरीय क्षेत्रों में राजस्व वृद्धि और अपराध नियंत्रण की दृष्टि से नवीन मदिरा दुकानें खोली जाएं। इस पत्र के जारी होने के बाद सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान क्या आबकारी आकाओं तक नहीं पहुंचा या फिर उन्हें मुख्यमंत्री के बयान या घोषणा की परवाह ही नहीं है या इसको मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की स्वीकृति ही माना जाए और यह माना जाए कि उनके बयान से परे हटकर उन्होंने ही आबकारी विभाग को कहा हो कि कार्यवाही शुरू कर दी जाए। क्योंकि आबकारी आयुक्त राजीवचंद्र दवे का पत्र सभी कलेक्टरों को मिल गया है और उन्हें कल तक अपना प्रस्ताव भेजना है। 

जहां-जहां भाजपा की सरकार है, वहां-वहां शराबबंदी होनी चाहिए : उमा भारती



इधर आज सुबह एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने पत्रकारवार्ता कर कहा कि हर हाल में प्रदेश में शराब बंदी होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि शराब बंदी के बाद राजस्व का घाटा कैसे पूरा होगा वह मैं बताऊंगी। उमा भारती भी नई शराब की दुकानें खुलने का घुर विरोध कर रही हैं, वह तो यहां तक कह रही हैं कि न सिर्फ मध्यप्रदेश में बल्कि जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां-वहां शराबबंदी होनी ही चाहिए। क्योंकि इससे अपराध और महिला उत्पीडऩ की घटनाएं होती हैं। सुश्री भारती ने कहा कि प्रदेश में 15 फीसदी दुर्घटनाएं होती हैं। इन 15 फीसदी दुर्घटनाओं में से 99.9 फीसदी दुर्घटनाएं शराब के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में शराब माफिया सक्रिय है। मैंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी फोन पर चर्चा की है और वहां भी शराब बंदी की अपनी बात को रखा है। यूपी में हमारे कई ऐतिहासिक मंदिरों के आसपास खुलेआम शराब बिक रही है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मांग की है कि वह भाजपा शासित राज्यों में बिहार मॉडल को लागू करें और जहां-जहां हमारी पार्टी की सरकार है वहां-वहां शराब बंदी हो।