जहरीली मदिरा से पसरा मुरैना में मातम

अवैध और महंगी शराब की भेंट चढ़ीं 21 जिंदगियां

गुना. होने के कारण पूरे प्रदेश में अवैध और जिले के बागचाना थाना स्थित छरा मानपुर गांव और सुमावली थाना के पहवाली गांव में अवैध और जहरीली शराब ने 21 जिंदगियां निगल ली। इसका सबसे बड़ा कारण गुणवत्तायुक्त शराब का महंगा होना है। प्रदेश के अन्य जिलों की तरह मुरैना जिले में भी शराब बेहद महंगी है इस कारण लोग सस्ती के लालच में घटिया और हाथ से बनी जहरीली शराब का सेवन करते हैं और काल के गाल में समा जाते हैं। मुरैना और इसके पहले उजैन में हुए हादसे तो इसकी बानगी भर है। शराब महंगी हाथ से बनी जहरीली शराब बनाने और बेचने का कारोबार जमकर फल-फूल रहा है। जिले के बागचीनी थाना स्थित छेरा मानपुर गांव और सुमावली थाना के पहवाली गांव में जहरीली शराब पीने से मृतक संख्या 21 तक पहुंच गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त कार्यवाही करते हुए कलेक्टर अनुराग वर्मा तथा एसपी अनुराग सुजानिया को हटा दिया है। मामले में थाना प्रभारी और आबकारी अधिकारी पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं। पुलिस ने जहरीली शराब बनाने और बेचने के आरोप में 7 लोगों के खिलाफ नामजद प्रकरण दर्ज किया है। इनमें दो को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि शेष फरार है जिन पर 10-10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है।

महंगी शराब भी एक वजह

ग्रामीणों का कहना है कि जिले में महंगी शराब भी इस हादसे की एक वजह है। देशी शराब का एक पाव 120 में बिकता है जबकि हाथ से इस तरह बनाई गई कभी शराब का पाव 50 से 60 रुपए में आसानी से मिल जाता है। यही कारण है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग 120 रू. में पाव खरीदने की बजाए 50 रु. में इस तरह बिकने वाली शराब खरीदकर पीते हैं। इसी की परिणति इस हादसे के रूप में सामने आई है। मुरैना जिले में अंग्रेजी शराब भी काफी महंगी है जबकि सटे हुए धौलपुर में अमूनन हर ब्रांड के शराब की बोतल 400 से 600 रूपए सस्ती है। यहां का शराब माफिया धौलपुर से अंग्रेजी शराब लाकर जिले में बेचता है। 

मिलाकर बनाते हैं शराब

प्रदेश की तरह जिले में शराब अत्यधिक महंगी होने के कारण यहां अवैध शराब बनाने और बेचने का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। सूत्रों का कहना है कि अवैध शराब बनाने के कारोबार में लिप्त लोग पानी में नशीली दवा मेन्डेंस मिलाकर शराब बनाते हैं। इसमें मेन्डेस, पानी और कभी ओपी मिलाई जाती है फिर उसे बोतल और वार्टर में बंद करके बेचा जाता है। शराब बनाने वाला माफिया खेतों अथवा अन्य सुरक्षित एकांत स्थानों पर ड्रम, ढकन बंद करने के लिए पैकिंग मशीन और जरूरत का कुछ अन्य सामान लेकर जाता है फिर बहुत ही कम समय में सैकड़ों बोतल में शराब पैक कर उसे बेचने के लिए रवाना कर देते हैं। मैंडेस और कभी ओपी मिलाकर शराब बनाने की विधि इतनी आसान है कि बहुत कम समय में बड़ी मात्रा में शराब तैयार हो जाती है। इसे बोतल में भरकर मशीन की मदद से ढकन पैक कर दिया जाता है जिससे यह हुबहू फैट्री निर्मित प्रतीत होती है। मेंडेस, क"ाी ओपी और पानी का संतुलन गड़बड़ाने पर यह जहरीली हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि देशी शराब में मिथाइल अल्कोहल होता है। यह इंसान के नर्वस सिस्टम को क्षतिग्रस्त करता है। इससे उल्टियां आती है, इंसान को दिखना बंद हो जाता है, लिवर, किडनी और हार्ट के डैमेज होने पर व्यति की मौत हो जाती है।