शिवराज की गरिमा को पहुंची ठेस तो नपेंगे कलेक्टर-एसपी

भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लगातार जिलों का दौरा कर रहे हैं। प्रतिदिन किसी न किसी जिले में किसी सरकारी आयोजनों में शामिल होते हैं। उन्होंने पहले ही जिले का भ्रमण करने का ऐलान कर दिया था। इधर देश में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा है। इसमें मप्र के किसान भी हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि इस आंदोलन का प्रभाव मप्र में कम ही है। सबसे अधिक हरियाणा और पंजाब के किसान इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। इस बीच राज्य सरकार ने जिलों में मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों के दौरान किसी तरह की नारेबाजी को बर्दाश्त नहीं करने को लेकर निर्देश जारी कर दिए हैं। यदि सरकारी कार्यक्रमों के दौरान कहीं कोई नारेबाजी की घटना हई तो फिर इसके लिए कलेक्टर सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। ऐसे में आयोजन की व्यवस्था में लगे प्रशासन और पुलिस के अफसरों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। इसमें लापरवाही की गाज कलेक्टर-एसपी पर भी गिर सकती है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों को सचेत कर दिया है, जिससे कि सीएम की सभा में नारेबाजी की घटना नहीं हो और मुख्यमंत्री को असहज स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। यह मामला 9 दिसंबर को कलेक्टर - कमिश्नर कॉफ्रेंस के दौरान भी प्रमुखता से उठाया, तब मुख्यमंत्री ने इस संबंध मे व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थेे। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों को मुख्यमंत्री द्वारा जिलों का भ्रमण किए जाने के दौरान नई व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थे।

बिना सूचना के स्टेज पर आने वालों पर रहेगी सख्ती :

प्राय: ऐसा होता है कि मुख्यमंत्री जब किसी सरकारी आयोजन में हिस्सा लेते हैं तो बगैर सूचना के जनप्रतिनिधि, पार्टी कार्यकर्ता या अन्य लोग मंच पर पहुंच जाते है तो इससे मंच पर अनावश्यक भीड़ बढ़ जाती है और असहज स्थिति बन जाती है। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि मंच पर बगैर अनुमति और सूचना के कोई व्यक्ति नहीं जा पाएगा और न ही खड़ा हो पाएगा। सामान्य प्रशासन विभागा ने नए निर्देशों में इसे अस्वीकार्य बताया है। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि कोविड काल में कोविड 1९ के तहत जारी किए गए दिशा-निर्देशों का इन आयोजनों के दौरान धन उल्लंघन न हो।

कर्मचारी संघों पर रहेगी खास नजर

जिलों में होने वाली मुख्यमंत्री की सभाओं के दौरान यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कलेक्टर की रहेगी कि सभा स्थल पर किसी तरह की नारेबाजी की घटना नहीं होगी। इसके लिए सभा में उपस्थित लोगों पर तो नजर रखी ही जाएगी, लेकिन विशेष रूप से कर्मचारी संघों पर भी कड़ी निगाह रखी जाएगी कि वे अपनी मांगों को लेकर कोई नारेबाजी नहीं कर सकें। मुख्यमंत्री की सभा के दौरान माइक व्यवस्था भी बेहतर रखने के निर्देश कलेक्टरों को दिए गए हैं। यदि तहसील या ब्लॉक मुख्यालयों में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम होते हैं और यदि वहां बेहतर माइक और साउंड सिस्टम की व्यवस्था नहीं हो पाती तो फिर कलेक्टर जिला मुख्यालय से माइक आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

मुख्यमंत्री को सीधे आवेदन देने का नहीं मिलेगा मौका

अब जो नई व्यवस्था निर्धारित की जा रही है, उस हिसाब से अब सामान्य लोग जो कि समस्या और शिकायत से जुड़े आवेदन लेकर पहुंचते हैं और मुख्यमंत्री से मिलकर उनके हाथों में सीधे आवेदन देना चाहते हैं, तो अब उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकेगी। अब ऐसे लोगों के आवेदन मुख्यमंत्री के आने से पहले ही ले लिए जाएंगे। यदि कोई प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलना चाहते हैं तो फिर उन्हें व्यवस्था के संबंध में पहले ही जानकारी देने की जिमेदारी प्रशासन की होगी। यह भी कलेटर तय करेंगे कि किस प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री मुलाकात करेंगे और किससे नहीं करेंगे। प्रतिनिधिमंडल को बारी-बारी से मिलाने की जिमेदारी कलेक्टर की होगी। यह भी कलेक्टर की जिमेदारी होगी कि मुख्यमंत्री के आगमन और प्रस्थान की सही व्यवस्था हो। 

कार्यक्रम की गरिमा बनाए रखने की जिम्मेदारी कलेक्टर की

सामान्य प्रशासन विभाग ने जो नई व्यवस्था तय की है, उस हिसाब से जिलों में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान गरिमा बनाए रखने की जिमेदारी कलेक्टरों की होगी। अब जहां भी मुख्यमंत्री  का दौरा होगा, वहां अनिवार्य रूप से हेलीपैड के बाहर टेंट और कुर्सियों का इंतजाम करना होगा, जिससे कि मुख्यमंत्री  के स्वागत और मिलने के लिए आए जनप्रतिनिधि समान के साथ बैठ सकें। मुख्यमंत्री  हेलीपैडसे निकलने के बाद सबसे पहले जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। उसके बाद यदि गणमान्य नागरिक और पार्टी कार्यकर्ता उनसे मिलना चाहेंगे तो उसके लिए 10 मिनट का समय आरक्षित रखा जाएगा।