मध्य प्रदेश की सियासत में ओवैसी की दस्तक, किसे होगा फायदा?





भोपाल. मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तारीख भले ही अब तक घोषित नहीं हुई है। लेकिन इस चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में सरगर्मियां तेज हैं। अब प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में एआईएमआईएम की दस्तक भी सुनाई दे रही है। प्रदेश में एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी की पार्टी नगरीय निकाय चुनाव में संभावनाएं तलाश रही हैं। एआईएमआईएम मध्य प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी ने आगामी एमपी नगरीय निकाय चुनाव में एआईएमआईएम के चुनाव लडऩे की संभावना जताई है।

मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में एआईएमआईएम का सर्वे

सियासी गलियारों में चर्चाएं हो रही है कि मध्य प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ओवैसी के निर्देश पर एआईएमआईएम पार्टी सर्वे करा रही है। नगरीय निकाय चुनाव में जीत की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसके बाद प्रदेश के सियासी पडित प्रदेश की भविष्य की राजनीतिक के सगीकरण पर माथापच्ची करने में जुटे हुए हैं। कई लोगों का कहना है कि ओसी के चुनाव लडऩे से सीधे बीजेपी को फायदा होगा, तो कई लोगों का मानना है कि प्रदेश में अल्पसंख्यक कम होने के कारण ओवैसी के लिए संभावनाएं राज्यों से कम है, जहां अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा है। 

प्रदेश के कई जिलों में होगा एआईएमआईएम का सर्वे

एआईएमआईएम के मध्य प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी ने कहा है कि मध्य प्रदेश में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी संभावनाएं तलाश रही है। प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में जल्द ही प्रारंभिक तौर पर सर्वे कराया जाएगा। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वे जिम्मेदारों ग्रेटर हैदराबाद के पार्षद सैयद मिनहाजुद्दीन को सौंपी है। सैयद मिनहाजुद्दीन की देखरेख में प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खंडवा, सागर,वरहानपर, खरगोन, रतलाम, जबलपुर, बालाघाट और गदसौर जैसे इलाकों में सर्वे कराए जाएंगे। इन सर्वे के आधार पर पार्टी प्रमुख ओयसी चुनाव लडऩे और न लडऩे का फैसला करेंगे।

ओवैसी से बड़ा अब बीजेपी का दलाल कोई नहीं

नगरीय निकाय चुनाव में ओवैसी की पार्टी की दस्तक को लेकर पूर्व मंत्री और विधायक सजन सिंह वर्मा ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ओबीसी से बड़ा बीजेपी का दलाल इस देश में कोई नहीं है। मैं मुस्लिम भाइयों से अनुरोध करता हूं कि पहचान जाओ, यह तुम्हारी पीठ में खंजर घोपने वाला है ओवैसी नरेंद्र मोदी और बीजेपी का सबसे बड़ा पिटू और दलाल है।

हमने हैदराबाद में घुसकर क्या हश्र किया

वही शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि देश में रहने वाले हर व्यक्ति को चुनाव लडऩे और लड़कने का अधिकार है। लेकिन बीजेपी अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक, धर्ण-जाति के आधार पर मतदाताओं को भिनता के रूप में नहीं देश ताआ का माता के रूप में नहीं देखता है। हमारे लिए मतदाता है, हमारे लिए जनता जनार्दन है। बीजेपी जनता की सेवा और केत्र के विकास के लिए काम करता है। कोई भी लड़े, कहीं से भी आकर लड़े। यह सुनिश्चित है कि नगर में भी बीजेपी की सरकार बनेगी। जिनका आप नाम ले रहे हैं, आपने देखा होगा कि हैदराबाद में हमने अके घर में घुसकर उन लोगों का क्या हश्र किया है। इसलिए कोई भी कही से आए तो जनता ने मन बना लिया है कि देश में कमल की सरकार है, प्रदेश में कमल की सरकार है, तो विकास के लिए नगर में भी कमल की सरकार होगी।

ओवैसी नहीं कर पाएंगे बड़ा कमाल

वरिष्ठ पत्रकार देवदत्त दुवे कहते है कि ओवैसी कमाल कर नहीं पाते हैं, उनसे करवाया जाता है। बीजेपी लगातार उनकी मदद करता है। यह आरोप विपक्षी दल भी लगाते हैं। वह जहाँ-जहाँ गए हैं, उन्होंने बीजेपी विरोधी वोट का बंटवारा किया है, क्योंकि मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यक कम है, इसलिए ओवैसी वैसा कमाल नहीं दिखा पाएंगे जैसा उन राज्यों में दिखा पाए है, जहाँ अल्पसंख्याक ज्यादा है। उन्होंने कहा कि यहां अल्पसंख्यक कांग्रेस के साथ है, क्योंकि उसको पता है कि बीजेपी से अगर प्रदेश में मुकाबला करेगी, तो कांग्रेस ही करेगी। यहां सपा, नबसपा को ज्यादा जगह मिली तो ओबैसी कोई कमाल नहीं कर पाएंगे। कमाल सिर्फ इतना होगा कि उतनी वोट को काटने का प्रयास करेंगे, जो वार्ड के चुनाव में कई बार 50-100 वो से जीतहार होता है। ओवैसी को उतना महत्व नहीं मिलेगा चाहे कोई कितना भी सपोर्ट कर ले.जो उन राज्यों में मिलता है, जहां अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा है।

मध्य प्रदेश की सियासत में एंट्री

ओवैसी ने बीते कुछ सालों में हैदराबाद के बाहर पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की है। उनकी पार्टी ने बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में 20 उम्मीदवार मैदान में उतारे और पांच स्थानों पर जीत दर्ज की। इसी मह उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के चुनाव में 38 उम््रमीदवारों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में उतारा मगर एक भी नहीं जीता। वही, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में उनके 44 उम्मीदवार जीते। ओवैसी अब उत्तर भारत की तरफ भी अपनी पार्टी का विस्तार करने में लगे हैं, उसी क्रम में वह मध्य प्रदेश को सियासत में एंट्री करना चाह रहे हैं।

बीजेपी के लिए फायदेमंद माने जाते हैं ओवैसी

जानकारों के मुताबिक अब तक देखा गया है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जहां भी चुनाव लड़ती है, तो मुस्लिम वोट का धुवीकरण करता है। ऐसे में बीजेपी विरोधो वोट माने जाने वाले अल्पसंख्यक वोट एआईएमआईएम को हासिल होते हैं। ऐसे में कांग्रेस को सीधे तौर पर नुकसान होता है। चाहे बिहार विधानसभा चुनाव की बात की जाए या फिर हाल ही में हैदराबाद नगर निगम चुनाव (त्र॥रूष्ट) को देखा जाए। देखने में आया है कि ओवैसी की मौजूदगी के कारण बोजेपी को फायदा हुआ है। और कांग्रेस को नकसान हुआ है। जानकारों के मुताबिक अल्पसंख्यक वोट ज्यादातर कांग्रेस को हासिल होते है। लेकिन कट्टर मुस्लिम छवि वाली पार्टी एआईएमआईएम जब चुनाव मैदान में होती है, तो वो मुस्लिम वोट काटने में सफल होती है। आमतौर पर मुस्लिम बीजेपी की वोटर नहीं माने जाते हैं। उन्हें कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के खाते में जाने वाली वोटें एआईएमआईएम के खाते में चली जाती है, जिसका फायदा बीजेपी को होता है।

मुस्लिम जनसंख्या और मतदाता की स्थिति

मध्य प्रदेश में मुस्लिम जनसंख्या पर गौर किया जाए तो 2011 की जनगणना के मुताबिक 6.97 फीसदी मुस्लिम आबादी है। वहीं 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान 38 लाख मुस्लिम वोटर दर्ज किए गए थे। कांग्रेस के मुस्लिम नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि मध्य प्रदेश में ओवैसी की चर्चा होने के कारण हैं। एक तो मुस्लिम नेता कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं। कि अगर मुस्लिम नेताओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो भविष्य में मुस्लिम नेता एआईएमआईएम की तरफ रुख कर सकते हैं। दूसरी वजह ये बताई जा रही है कि पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस करीब 10 से 12 मुस्लिम उम्मीदवार उतारती थी। लेकिन पिछले कुछ चुनाव से महज तीन और चार मुस्लिम उम्मीदवारों को कांग्रेस टिकट देती है। ऐसी स्थिति में राजनीति में सक्रिय मुस्लिम नेता अन्य संभावनाएं तलाशने लगे हैं।

मुस्लिम वोटों के आधार पर सपा-बसपा भी नहीं जमा पाई पैर

ऐसा नहीं है कि पहली बार मुस्लिम मतदाता को आधार बनाकर मध्यप्रदेश में कोई राजनीतिक दल संभावनाएं तलाश रहा हो। इसके पहले उत्तर प्रदेश में मजबूत स्थिति में रही समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी ये कोशिश कर चुकी है। दोनों ही पार्टियां मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को आधार बनाकर मध्य प्रदेश में पैर जमाने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन वह दोनों पार्टियां कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा पाई। इन पार्टियों ने कांग्रेस का खेल बिगाडऩे का काम जरूर किया है। लेकिन नगरीय निकाय स्तर पर अगर एआईएमआईएण संभावनाएं तलाशती है, तो प्रदेश के कई शहरों के वार्ड के राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकता है।