दिल्ली में सत्तासीन आप को मिल रहा फायदा, कांग्रेस भी नहीं पीछे

नई दिल्ली. किसान संगठनों ने बेशक राजनीतिक दलों को मंच देने से इनकार कर रखा है, लेकिन किसान आंदोलन के सहारे राजनीतिक दल पंजाब विधान सभा को भी तैयारी कर रहे हैं। सबसे ज्यादा सियासी चहलकदमी पंजाब की मख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (बादल) में दिख रही है। वहीं, पंजाब में सत्तासीन कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ दिल्ली प्रदेश इकाई भी इस मसले में पीछे नहीं हैं। तीनों दलों के वरिष्ठ नेता अनौपचारिक बातचीत में मान भी रहे हैं कि जो दल किसानों का दिल जीत सका, पंजाब में इस बार सत्ता की चाभी उसी के हाथ होगी। दरअसल, 2022 की शुरुआत में पंजाब विधान सभा चुनाव होना है। करीब एक साल बाद होने वाले चुनाव के लिए दिल्ली की सीमा पर पंजाब से आ डटे बड़ी संख्या में किसानों ने राजनीतिक दलों को अपना सियासी जनाधार मजबूत करने का अवसर मुहैया कराया है। आप को थोड़ा फायदा दिल्ली में सत्तासीन होने से मिला है। पार्टी व उसकी सरकार हर उस मौके का भुनाना चाहती है, जिसमें वह किसानों की हमदर्द दिखे और इसके सहारे पंजाब में उसका जनाधार मजबूत हो।

कांग्रेस नेता भी किसानों के हक में उठा रहे अपनी बात

पंजाब में सत्तासीन कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व किसान कानून पर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। वहीं, दिल्लोइकाई के नेता भी अपने स्तर पर आंदोलनकारियों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। यूरा कांग्रेस नेताओं ने किसानों को पानी और दवा मुहैया कराने के लिए सिंधु व टिकरी बॉर्डर का सोमवार को दौरा किया।