समय पर नहीं मिल रही सीएम स्वेच्छानुदान की राशि

भोपाल. मुख्यमंत्री स्वेच्छानदान के ताजा मामले पूरी तरह प्रासौगक है। सीएम स्वेच्छानुदान मद की स्थापना ही इसलिए की गई थी कि जरूरतमंद ऐसे लोग जो कि इलाज का भारी - भरकम खर्च नहीं उठा सकते, उनको राज्य सरकार की ओर से कुछ सहायता मिल जाए, जिससे कि आर्थिक रूप से कमजोर सहित अन्य उपचाररत लोगों को राहत मिल जाए, लेकिन अब यह राशि अब समय पर नहीं मिल रही है।

होना तो यह चाहिए कि यह राशि मरीजों के अस्पताल में भर्ती के दौरान ही उन्हें मिल जाना चाहिए, लेकिन कई मामलों में अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी यह राशि नहीं मिल पाती ऐसे में महंगे इलाज में राहत की उम्मीद संजोए मरीजों और उनके परिजनों को निराशा ही हाथ लगती है। यह इसलिए कि अस्पतालों को तो मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद पूरी राशि जमा कराना होती है। भले ही सीएम स्वेच्छानुदान के तहत राशि स्वीकृति का मामला लंबित पड़ा हो। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन पूरी राशि वसूलने के बाद ही मरीजों को डिस्चार्ज करता है। यदि मरीज सीएम स्वेच्छानुदान की राशि का इंतजार करते हुए अस्पताल में पड़ा रहे तो उसका बिल लगातार बढ़ते रहता है। ऐसे में मरीजों के सामने दुविधा की स्थिति बनी रहती है।

लगातार हो रही देरी

यह मामला कलेक्टर - कमिश्नर कॉफ्रेंस के दौरान भी प्रमुखता से उठा था। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को इस संबंध में जिलों से लगातार फीडबैक मिल रहा था कि सीएम स्वेच्छानुदान की राशि मुख्यमंत्री सचिवालय से स्वीकृत होने के बाद भी मरीजों के परिजनों को समय पर नहीं मिल पा रही है। होना तो यह चाहिए कि स्वीकृति के तीन से चार दिन के भीतर ही संबंधित अस्पताल को यह राशि ट्रांसफर की जाना चाहिए, जिससे कि अस्पताल मरीजों का सही से इलाज कर सके और मरीज और उसके परिजन खर्च की चिंता किए बगैर निशिंत होकर इलाज करा सकें, लेकिन कई मामलों में यह राशि स्वीकृत होने के एक माह तक भी संबंधित अस्पतालों को नहीं मिल रही है, जिससे सीएम स्वेच्छानुदान की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है।