परिचर्चा के दौरान एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रिता सिंह ने बताया कि एड्स बीमारी की कोई भी दवा नहीं है। आयुर्वेद से भी एड्स का इलाज संभव है। आयुर्वेद में एड्स के कई अत्यधिक प्रभावी उपचार बताए गए हैं। आयुर्वेद की एक शाखा विशेष रूप से विभिन्न जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक तकनीकों और विधियों के उपयोग के माध्यम से प्रतिरक्षा और जीवन शक्ति में वृद्धि के साथ जुड़ी है। इसमें डीटॉक्सीफिकेशन करने के बाद रोगी की रोग प्रतिरोधक शक्ति में रासायनिक पद्धति द्वारा वृद्धि की जाती है। इससे उपचार में बहुत सहायता मिलती है। एलोपैथिक दवाओं की इन सीमाओं के कारण, आयुर्वेदिक उपचार एचआईवी/एड्स से रोगियों के लिए दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए उपयोगी विकल्प बन गया है। अधिकांश आयुर्वेदिक उपचार के गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होते और ये काफी किफायती भी हैं। आगे कहा कि इसका बचाव ही एक मात्र सवाधानी है। आयुर्वेद में ओजक्षय अंतिम स्टेज है। इसका इलाज ओजवर्धक दवाओं से संभव है। इसके में कालामेघ, शतावरी एवं स्वर्ण भस्म आदि के बहुत अच्छे नजीते हैं। सूर्य नमस्कार और योगी भी अत्यंत लाभकारी है। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर श्रद्धा शर्मा ने बताया कि एड्स मरीज की इम्यून सिस्टम कमजोर होती है। तो इसको बढ़ाने के लिए इम्यूनबूस्टर से ठीक किया जाता है। इसके कुछ रसायन ड्रग जैसे गहुची, शतावरी, शंखपुष्पी जैसी दवाओं से उपचार संभव है।
कार्यक्रम का अंत ओपन डिस्कशन से किया गया। जिसमें डॉ. राहुल, डॉ. दीप्ति एवं डॉ. रघुवंशी ने भी रोग प्रतिरोधकता के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही डीन डॉ. अखिलेश सिंह आयुर्वेदा, डीन एग्रीकल्चर डॉ. कुंदन सिंह तथा पत्रकारिता विभाग अध्यक्ष तस्नीम खान मौजूद थी। के छात्र-छात्राओं के लिए ई-पोस्टर सहित अन्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और एड्स के प्रति जागरूकता से जुड़े संदेश पोस्ट के माध्यम से दिए। कार्यक्रम का समापन डॉ. शैलेष जैन विभाग अध्यक्ष फॉर्मेसी द्वारा किया गया।
एड्स का खतरा किसे अधिक होता है :
- 1. एक से अधिक लोगों से असुरक्षित यौन संबंध रखने वाले व्यक्ति को।
- 2. वेश्यावृति करने वालों से यौन सम्पर्क रखने वाले व्यक्ति को।
- 3. नशीली दवाईयां इंजेक्शन के द्वारा लेने वाला व्यक्ति।
- 4. यौन रोगों से पीडित व्यक्ति।
- 5. संक्रमित पिता/माता से पैदा होने वाले बच्चें को। - अंकित पचौरी