दिल्ली ही निकालेगी 'सत्तासंगठन का पेंच, फिर बैठेंगे शिव-विष्णु और भगत



भोपाल.
 सत्ता और संगठन में करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल के विस्तार और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की टीम को लेकर अंतिम निर्णय एक-दो दिन और टल गया। सत्ता और संगठन में आ रहे इन पेंचों को सुलझाने एक दौर की बैठक आजकल में दोबारा होने की उम्मीद है। यहां मंथन का दौर पूरा होते ही प्रदेशाध्यक्ष शर्मा अपनी टीम को लेकर एक बार फिर दिल्ली की दौड़ लगा सकते हैं। वहीं सत्ता और संगठन की लिस्ट फाइनल होते ही प्रदेश भाजपा के नए प्रभारी मुरलीधर राव भी भोपाल पहुंच सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक 8 दिसंबर की तारीख सत्ता और संगठन तो स्तर पर महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मंगलवार को प्रदेशाध्यक्ष शर्मा की दस महीने से प्रतीक्षित टीम घोषित की जा सकती है। वहीं इसी दिन मंत्रिमंडल को भी विस्तार मिलने की संभावना है। दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के नए प्रभारी मुरलीधर राव का पहला भोपाल दौरा भी 7 और 8 दिसंबर को संभावित है। इन सारी कवायदों को ऑतिम रूप देने के लिए हर स्तर पर उठापटक के दौर आज भी जारी हैं। कल मुख्यमंत्री चौहान के साथ प्रदेशाध्यक्ष शर्मा और संगठन महामंत्री भगत की बैठक के बाद प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर चिंतन-मंथन के दौर बढ़ गए हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे का प्रस्ताव भी बताएंगे

राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे का प्रस्ताव भी बताएंगे अपने इस दिल्ली दौरे में प्रदेशाध्यक्ष शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा के पहले प्रदेश दौरे को लेकर भी चर्चा करेंगे। अपने 120 के राष्ट्रीय दौरे के विशेष कार्यक्रम के तहत नड्ढा को भोपाल आना है। इस दौरान वे समाज के प्रबुद्धवर्ग, पार्टी नेताओं के साथ ही किसी मंडल का भी औचक दौरा कर मैदानी टीम से बातचीत करेंगे। इस दौरे को लेकर प्रदेश संगठन ने तैयारी शुरू कर दी है। संगठन द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे का रूट चार्ट तैयार किया जा रहा है। संभावना है कि प्रदेशाध्यक्ष शर्मा अपने साथ यह रूट चार्ट भी दिल्ली लेकर जाएंगे। 

सिंधिया समर्थक निगम-मंडल में होंगे एडजस्ट

वहीं मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री शिवराज अब सिंधिया समर्थक विधायकों को ज्यादा मौका नहीं देंगे। उपचुनाव जीतकर आए सिंधिया समर्थक केवल दो पूर्व मंत्रियों गोविंद राजपूत व तुलसी सिलावट को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। बाकी को तीन पूर्व मंत्रियों सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता लेने वाले पूर्व विधायकों को भी निगम-मंडल के जरिए सरकार में भागीदारी का मौका मिल सकेगा।