पाकिस्तान में एक हजार साल पुराना कटासराज शिवमंदिर


पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 कि.मी. दूर और लाहौर से 280 किलोमीटर की दूरी पर कटस नामक स्थान में एक पहाड़ी पर है। इस स्थान से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, शिवजी का ये मंदिर करीब एक हजार साल से पुराना हैं। महाभारत काल में अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी यहां कुछ समय गुजारा था। इसलिए ये हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। 




कैसे बना कटासराज कुंड : महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें- कैसे बना कटासराज कुंड मान्यताओं के अनुसार, कटसराज मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है। इस कुंड के निर्माण के पीछे एक कथा है। कहा जाता है कि जब देवी सती की मृत्यु हो गई, तब भगवान शिव उन के दु:ख में इतना रोए की उनके आंसुओं से दो कुंड बन गए। एक तो राजस्थान के पुष्कर नाम का तीर्थ है और दूसरा पाकिस्तान के कटासराज मंदिर में मौजूद हैं। 
जा सकते हैं 200 भारतीय दर्शन करने
इंडो-पाक प्रोटोकॉल 1972 के अनुसार हर साल 200 भारतीय कटासराज पर तीर्थ करने जा सकते हैं। इसी के तरह हर साल हिंदू धर्म के अनुयायी महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में जाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन भारत और पाकिस्तान के मध्य अभी चल रहे तनाव के कारण इस बार भारतीय जाने से कतरा रहे हैं। महाभारत काल के समय भी बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी से नौवीं शताब्दी के मध्य कराया गया था। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर महाभारत काल यानि त्रेतायुग में भी था। इस मंदिर से जुड़ी पांडवों की कई कथाएं भी यहां प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि यहां के सात मंदिरों का निर्माण पांडवों ने महाभारत काल में किया था। पांडवों ने अपने वनवास के दौरान लगभग 4 साल यहां बिताए थे। इस स्थान को लेकर यह भी मान्यता है कि इसी कुंड के तट पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था। 
यूनेस्को की हैरिटेज लिस्ट में शामिल करने की कोशिश 
भगवान शिव के इस मंदिर का प्रतिबिंद मंदिर के पास बने 150 फीट लंबे और 90 फीट चौड़े पवित्र सरोवर के पानी में साफ दिखाई देता है। कुछ समय पहले तक इसके पास लगी सीमेंट की फैक्ट्रियां बोरवेल से पानी निकाल रही थीं, जिससे जमीनी पानी का स्तर लगातार कम होता जा रहा था और सरोवर सूखने के कगार पर पहुंच गया था। फिर सिंध के हिंदुओं की याचिका पर पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सरोवर को ठीक करने के आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पाक सरकार मंदिर को यूनेस्को की हैरिटेज लिस्ट में शामिल कराने की कोशिश कर रही है।