कृष्ण और सुदामा की दोस्ती से बढ़कर कुछ नहीं


आज 4 अगस्त रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है। ऐसे में इस दिन दोस्त अपने दोस्तों को लेकर घूमने जाते हैं गिफ्ट्स देते हैं और इस दिन को धूम धाम से मनाते हैं। वैसे दोस्ती की बात करें तो वह केवल आज ही नहीं बल्कि इतिहास में भी बहुत जरुरी मानी जाती थी। पौराणिक ग्रंथों में भी दोस्ती का उल्लेख मिलता है जैसे-
गांधारी और कुंती - कहा जाता है इन दोनों में रिश्ता देवरानी-जिठानी का रहा, लेकिन दोनों ने तमाम प्रतिकूलताओं के बीच भी अपनी दोस्ती निभाई है। आखिर तो दोनों के बेटों के बीच ही महाभारत का युद्ध हुआ है, फिर भी दोनों ने मित्रता और प्रेम का धर्म निभाया।
कृष्ण और सुदामा- इनकी दोस्ती कौन नही जानता। कृष्ण सुदामा को सबसे अच्छी और नि:स्वार्थ दोस्ती का उदाहरण माना जाता है। इनकी दोस्ती में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब का भेद नहीं था। सांदीपनी के आश्रम में शिक्षा लेते समय कृष्ण चाहे घोषित रूप से राजकुमार नहीं थे, लेकिन फिर भी उनके ठाठ राजाओं की तरह थे। इसी के साथ दूसरी तरफ सुदामा एक गरीब ब्राह्मण के बेटे थे। जब सुदामा को अपनी गरीबी में कृष्ण की याद आई। तब तक कृष्ण द्वारिकाधीश हो चुके थे, लेकिन कृष्ण ने जिस तरह बिना उनके कहे उनकी तकलीफ को समझा और उनकी मदद की यह दोस्ती का सबसे अच्छा उदाहरण है।