17वें रोजे के दिन इस्लाम के लिए पहली जंग लड़ी गई थी। अरब क्षेत्र में यह लड़ाई बुराई के खिलाफ थी। इस जंग में खुद हजरत मोहम्मद भी जलवा थे, जिनकी दुआओं से अल्लाह ने अच्छाई के लिए लडऩे वालों की मदद की और वे दुश्मनों से काफी कम होने के बावजूद जंग जीते। दुश्मनों को वापस लौटना पड़ा।
कब और कहां हुई जंग
सऊदी अरब में मदीना शहर से 200 किमी दूर स्थित एक कुआ जिसका नाम बदर था। इस वजह से उस क्षेत्र का नाम भी बदर पड़ गया था। यह जंग 624 ई में जनवरी माह में लड़ी गई थी। इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद साब ने जब बुराइयों को मिटाकर इस्लाम की तब्लीग शुरू की तो क्षेत्र में कई लोग उनकी मुखालफत कर रहे थे। वहां बूत परस्ती थी, जो इसानियत के खिलाफ थे। उस वक्त हजरत मोहम्मद साब के साथ सिर्फ 313 अनुयायी थे। ये सभी रोजेदार थे। उनकी मुखालफत करने वाले दुश्मन अबू जहल अपनी पूरी सेना के साथ मुसलमानों का नामो निशान मिटाने के लिए शहर मक्का से रवाना हुआ था। मदीना से मोहम्मद साहब और उनके अनुयायी बदर की ओर रवाना हुए थे। अबू जहल की सेना में 1300 से ज्यादा लोग हथियारों के साथ थे। ये सभी 700 ऊंट और 100 से अधिक घोड़े शामिल थे।
7वें रोजे के दिन लड़ी गई इस्लाम की पहली जंग