प्रभु का जन्म होते ही समाजजनों द्वारा एक-दूसरे को क्रिसमस पर्व की बधाई देंगे
घर-घर सजाई गई आकर्षक गौशाला
आयोजित कार्यक्रमों में हजारों लोग हिस्सा लेंगे
मेघनगर। - क्रिसमस के पावन पर्व के इस अवसर पर मंगलवार रात 12 बजे प्रभु यीशु के जन्म के साथ विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा। जिले में एक साथ सभी चर्च में आयोजित कार्यक्रमों में हजारों लोग हिस्सा लेंगे। चर्च के नवनिर्माण के चलते परिसर में हर बार की इस बार भी गौशाला बनाई गई है। जो आकर्षक का केंद्र बनी हुई हैं
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी नगर पालिका परिसर की बजाय उत्कृष्ट विद्यालय खेल मैदान पर मेले का आयोजन किया जा रहा है। व्यापारियों द्वारा कुछ दुकानें दिलीप क्लब परिसर में भी लगाई जा रही हैं। 24 तारीख की रात से मेले का आयोजन होगा। 24 की रात 10 बजे से चर्च परिसर में प्रार्थनाओं का दौर प्रारंभ हो जाएगा। रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
जिले में मेघनगर,थांदला, झाबुआ चर्च, मेघनगर बिशप हाउस स्थित चर्च, पिपलिया चर्च, कुंडला, रानापुर,पंचकुई,रसोड़ी, काकनवानी स्थित डुंगरीपाड़ा चर्च शहीत पेटलावद में भी प्रार्थना सभा आयोजित होगी। यहां धर्मगुरु विधि-विधान के साथ प्रक्रिया करवाएंगे। और रात को प्रभु जन्म की खुशियां मनाई जाएंगी।
*प्रभु का जन्म होते ही समाजजनों द्वारा एक-दूसरे को क्रिसमस पर्व की बधाई देंगे*
झाबुआ स्थित कैथोलिक चर्च परिसर में प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
प्रभु का जन्म होते ही समाजजनों द्वारा एक-दूसरे को क्रिसमस पर्व की बधाई देंगे। और मिस्सा बलिदान कार्यक्रम भी होगा।
इसके बाद समाज के पुरोहित प्रवचन देते हुए यीशु की महिमा का गान करेंगे। साथ ही बालक यीशु जन्म के कारण आदि के बारे में बताया जाएगा। जन्मोत्सव के तहत बालक यीशु की प्रतिमा गौशाला में रखी जाएगी। उत्कृष्ट विद्यालय खेल मैदान पर झूले तथा कुछ दुकानें लगाई गई और दिलीप क्लब प्रांगण में भी व्यापारियों ने दुकानें लगाई हैं।
पर्व के दौरान समाज के कई लोग सांता क्लाज के वेश में भी दिखाई देंगे।
*अलग-अलग जगोह से भी बहुचेंगे प्रभु येसु के जन्मोत्सव में लोग*
झाबुआ चर्च में क्रिसमस पर्व मनाने के लिए नगर सहित समीपस्थ ग्राम बिलीडोज, डुंगरा, माधोपुरा, मौजीपाड़ा, गोपालपुरा, मिंडल, बिजियाडुंगरी आदि आसपास के गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुचेंगे हैं। ये ग्रामीण अपने साथ पर्व की खुशियां मनाने के लिए ढोल-मांदल भी लाते हैं और चर्च परिसर में ढोल-मांदल पर नृत्य कर भगवान यीशु के जन्म की खुशियां मनाते हैं।