गुरु नानक देव के चमत्कार से जब लोगों को मिला मीठा जल

श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को लेकर देशभर में उत्साह हैं। प्रकाश पर्व 12 नवंबर को है और इसकी तैयारियां हर ओर जोरों पर हैं। वैसे तो हर गुरुद्वारा अपने आप में वास है लेकिन आज हम आपको उस गुरुद्वारे के बारे में बता रहे हैं जिसकी स्थापना खुद गुरु नानक साहेब ने की थी। बताया जाता है कि जब 1505 में गुरु नानक जी पहली बार दिल्ली आए थे तब उन्होंने इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी, इसीलिए ये गुरुद्वारा सिव समुदाय के लिए खासा महत्व रखता है। यह बहुत ही प्राचीन और दिल्ली का पहला गुरुद्वारा है।



गुरुद्वारा का नाम नानक प्याऊ गुरुद्वारा


दिल्ली स्थित इस गुरुद्वारे का नाम है नानक प्याऊ गुरुद्वारा। बताया जाता है कि जय गुरुनानक जी पहली बार दिल्ली आए तब वो इसी जगह पर रुके थे। आज की तारीख में इस जगह को जीटी करनाल रोड के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि उस समय इस इलाके में पीने का पानी नसीब नहीं होता था जमीन से खारा पानी निकलता था, जिसके कारण लोग परेशान रहते थे। तब गुरु नानक देव ने अपनी शक्ति से, अपनी दष्टि से, जमीन से मीठा पानी निकाला। जिसके बाद यहां रहने वाले तमाम लोगों ने यहां पानी पिया बाग के मलिक ने यह बाग गुरु के चरण में भेंट कर दिया यहां यादगारी स्थान बनवा दिया जो श्री गुरनानक प्याऊ दी संगत करके प्रसिद्ध हो गया।


514 सालों से चला आ रहा है लंगर



बताया जाता है कि नानक प्याऊ गुरुद्वारे में सबसे पहले लंगर खुद गुरुनानक ने ही शुरू किया था और तब से अब तक यानि 514 सालों से यहां लंगर इसी तरह चलता आ रहा है। बताया जाता है कि यहां हर दिन हजारों की संख्या में लोग यहां खाना खाने आते हैं। यहां से कोई भी भूखा नहीं जाता है।