देश के इन पांच मंदिरों से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा


हमारे देश में वैसे तो कई ऐसे जागृत और चमत्कारिक मंदिर स्थित हैं जो अपने आप में रहस्मयी अलौकिक शक्तियों को समेटे हुए हैं। इन चमत्कारिक मंदिरों में कई ऐसे भी हैं जिनके रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है और उन रहस्यों को जानने के लिए आज भी वैज्ञानिक अपनी शोध के जरिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। हालांकि इन मंदिरों को लेकर लोगों की आस्था और विश्वास भी कमाल की है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों से कभी कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। चलिए आज हम आपको ऐसे ही चमत्कारिक मंदिर के बारे में बताते हैं जहां से भक्त अपने मनोकामनाओं की झोली भरकर ही लौटते हैं।


चमत्कारिक मंदिर - कसार देवी मंदिर
देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कसार देवी मंदिर को लेकर लोगों का दृढ विश्वास है कि माता के इस दरबार में आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में आकर भक्तों को असीम मानसिक शांति का अहसास होता है। इस मंदिर को अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी माना जाता है। यही वजह है कि इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में भक्त आते हैं।


जगन्नाथ मंदिर
उड़ीसा के जगन्नाथ पूरी को हिंदू धर्म के 7 मशहूर व पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। समुद्री तट के किनारे स्थित जगन्नाथ का यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। पुराणों के अनुसार इसे वैकुंठ धाम और भगवान विष्णु के चार धामों में से एक माना जाता है। कहते हैं कि यहां लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं। जगन्नाथ पूरी में आनेवाले भक्त बड़ी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं जिन्हें भगवान अवश्य पूरी करते हैं।


महाकाली शक्तिपीठ
गुजरात के पावागढ़ में ऊंची पहाडिय़ों पर स्थित महाकाली शक्तिपीठ को सबसे जागृत माना जाता है। माता का यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां देवी सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थीं। वडोदरा शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर पावागढ़ पहाडिय़ों की चोटी पर स्थित इस मंदिर में पहुंचने के लिए रोपवे से उतरने के बाद करीब 250 सीढिय़ां चढऩी होती है। मान्यता है कि यहां आनेवाले भक्त माता के इस दरबार से खाली हाथ निराश होकर कभी नहीं लौटते क्योंकि माता उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।



मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
राजस्थान के दौसा जिले में दो पहाडिय़ों के बीच मेहंदीपुर नामक स्थान है जहां एक बड़े चट्टान पर अपने आप ही चमत्कारिक रुप से हनुमानजी की आकृति उभर आई थी। जिसे भक्त बालाजी महाराज के रुप से जानते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी के बाल स्वरुप की पूजा की जाती है और इसके साथ ही भगवान शिव और भैरवजी को भी पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है और यहां आनेवाले भक्तों की हर पीड़ा और संकट को हनुमानजी हर लेते हैं।



हिंगलाज माता मंदिर
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के बलुचिस्तान में हिंगोल नदी के किनारे पहाड़ी गुफा में माता पार्वती का अति प्राचीन हिंगलाज मंदिर स्थित है। माता के इस मंदिर का उल्लेख कई पुराणों में मिलता है और इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। हालांकि भारत-पाक बंटवारे के बाद इस मंदिर को पाकिस्तान के हिस्से में आए इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने तोडऩे की काफी कोशिश की लेकिन इसमें आज तक कोई कामयाब नहीं हो सका। हिंगलाज माता के इस चमत्कारिक मंदिर की देख रेख मुसलमानों द्वारा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो अपनी मनोकामना माता हिंगलाज के सामने रखता है माता उसे अवश्य पूरा करती हैं।



ये है चमत्कारिक मंदिर


आपके मन में कोई ऐसी मनोकामना है जो अब तक पूरी नहीं हुई है तो फिर आपको आस्था और पूरे विश्वास के साथ अपने जीवन में एक बार ही सही पर इन मंदिरों के दर्शन जरूर करने चाहिए।