ये जीवन हर पल चलती श्वासों का खेल है। फिर भी अनमोल है। इसे यों ही गफलत में न गंवाइए। इस धरती पर तुम्हारा आना हुआ है तो कुछ करके दिखाइए। जिंदगी एक जंग है इसे जीतकर दिखाइए। इसके लिए यह बात सदा याद रखिए जैसे जीवन में जरूरी है श्वांस। वैसे जीत में जरूरी है आत्मविश्वास! वास्तव में जीवन की जंग को जीतना है तो अपनी श्वासों की तरह ही हर पल आत्मविश्वास से लबरेज रहिए। क्योंकि आप कितने ही बलशाली, ज्ञानवान व धनवान क्यों न हों लेकिन आत्मविश्वास नहीं है तो फिर आप कभी जंग नहीं जीत सकते। महाभारत के युद्ध में 'अर्जुन' महान योद्धा हैं लेकिन स्वजनों के मोह के चलते अपना आत्मविश्वास खो बैठे। तभी तो युद्ध से मुकरने लगे। यानी दूर हटने लगे। लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र गीता का संदेश सुनाया तब अर्जुन में आत्मविश्वास लौट आया और उन्होंने युद्ध जीतकर दिखाया। कहने का आशय यही है कि 'जिंदगी की जंग' जीतना है तो केवल शारीरिक रूप से ही मजबूत न बनें बल्कि अपने अंदर से मजबूत होना भी जरूरी है। जिसके लिए अंत:करण निर्मलता जरूरी है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को यही तो समझाते हैं कि तुम अपने हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागो। जो तुम्हें तुम्हारे स्वजनों के मोहवश उत्पन्न हई है। इसी दुर्बलता के कारण ही लोग कई बार जिंदगी में एक बड़े अवसर के रूप में हाथ लगी जंग को जीतने से वंचित रह जाते हैं। यह देख सुनकर दुख होता है कि कई बार अच्छे हट्टे कट्टे युवा भी जिंदगी की जंग से घबराकर आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते हैं। यह उनमें आत्मविश्वास के भारी अभाव का ही परिणाम है। इसलिए जीवन अस्तित्व के लिए जरूरी है कि अपनी श्वासों को संभालो। इसके लिए हवापानी व अपने आसपास के वातावरण और पर्यावरण को शुद्ध बनाओ। साथ ही जीवन की जंग जीतने स्वयं में आत्मविश्वास जगाओ। जो कि मानव मात्र के धर्मशास्त्र श्रीमद्भगवत के अध्ययन से मिलेगा। प्रभु श्रीराम सद्चरित्र अनुसरण से मिलेगा। ऐसा करने से जीवन में अमरता आएगी और हर जंग जीत में बदल जाएगी।
जैसे जीवन में जरूरी है श्वास वैसे जीत में जरूरी है आत्मविश्वास!